For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल -

 बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल |
बस-बेबस बहते बहे, बज-बंशी भूपाल |  
बज बंशी भूपाल, बहर बंदिशें सुरीली |
मनमोहन मदमस्त, मगन मीरा शर्मीली |
चले अचल छल-चाल, भयंकर नदी बिगडती  |   
चारो तरफ बवाल, हमारी बिपदा बढ़ती ||  

मौलिक / अप्रकाशित
 

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on July 7, 2013 at 3:12pm

आदरणीय रविकर सर .. बहुत ही सुंदर कुंडलियाँ .. शब्दों का संयोजन लाजवाब ... बहुत -२ बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2013 at 11:14pm

वाह आदरणीय बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

Comment by coontee mukerji on July 5, 2013 at 7:46pm

चले अचल छल-चाल, भयंकर नदी बिगडती  |   
चारो तरफ बवाल, हमारी बिपदा बढ़ती |........यही तो विडम्बना है रविकर जी. जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो .....क्या करें?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 1:21pm

वाह ! रविकर भाई शब्द संयोजन और संधि-विच्छेद कर छंद रचना में आपका मुकाबला नहीं | हार्दिक बधाई 

बहुगुणा  बहु-गुणित हुए, चर्चा में मगरूर 

बढती विपदा दे रही,  जनप्रियता  भरपूर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2013 at 9:24am

आ0 रविकर भाई जी,    बहुत ही शानदार, शालीन और शर्मीली फटकार के साथ-ही साथ सिमटती सांझ की दुर्दशा का सुन्दर चित्रण। इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।   सादर,

Comment by aman kumar on July 5, 2013 at 8:15am

अति सुंदर ..........

Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 2:47am

 बहुत बहुत खूब  सुंदर छंद की रचना की आपने  आदरणीय कुण्डलिया सम्राट रविकर जी! 

सच मुच   आपकी कलम में जादू है,, नमन !! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service