For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


मेरे पिया गए परदेश रे 
ना मनवा लागे रे 
सावन आया 
ददुरबा बोले 
ददुरबा बोले ददुरबा बोले 
बादल गरजे तेज रे 
ना मनवा लागे रे 
चिठ्ठी आयी ना 
पाती आयी 
ना आया कोई सन्देश रे 
ना मनवा लागे रे
सोलह श्रृंगार 
ना मन को भाये 
मन को भाये न मन को भाये
भाये ना ये देश रे 
ना मनवा लागे रे 
जब से पिया परदेश गए हैं
बातें करना भूल गए हैं 
भूल गए हाँ भूल गए हैं 
भूले हाँ भूले सारा प्रेम रे
ना मनवा लागे रे 
कोई तो जाए पिया को बुलाये 
संदेशवा मेरा पिया को दे आये 
पिया को दे आये पिया को दे आये 
अब,कटते नहीं दिन रैन रे 
ना मनवा लागे रे
मेरे पिया गए परदेश रे 
ना मनवा लागे रे

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1002

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 3, 2013 at 10:50pm

बहुत सुन्दर लोकगीत! इस प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें।
लोकगीत में यदि खड़ी बोली का प्रयोग न किया जाता तो शायद इसकी सुंदरता अधिक होती।
सादर!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 3, 2013 at 8:23pm

आदरणीय देवेन्द्र जी, सावन माह में पिया की बाट जोहती नायिका का बिरह वेदना लोकगीत के माध्यम से बड़े ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है, इस गीत में अभी और संभावना है, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर . 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 3, 2013 at 4:19pm

सुन्दर लोक गीत है | मेरे विचार से इसे कुछ इस प्रकार से लिखा जाय तो और अच्छी लय बैठगी -

मेरे पिया गए परदेश रे 
मेरा मनवा नहीं लागे रे 

------------- बहार हाल सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2013 at 3:50pm

लोक गीत विधा पर बहुत खूबसूरत प्रयास हुआ है..लोकगीतों को आम बातें ही खास बनाती हैं...और वही खासियत इस प्रस्तुति में भरपूर समाहित है..बहुत बहुत बधाई . बस बन्दों की तुकांतता को यदि थोडा सा और साधा जाता तो मज़ा आ जाता! आप एक बार देखिएगा शायद सहमत हों !!

शुभकामनाएं 

देवेन्द्र जी 

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:47pm

सुंदर 

Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 9:24pm

सुन्दर प्रस्तुति देवेन्द्र भाई जी! //प्रयासरत रहें आप और भी अच्छा लिख सकते है //हार्दिक बधाई 

Comment by रविकर on July 2, 2013 at 7:51pm

प्रेरित करता लोकगीत-
बधाई आदरणीय देवेन्द्र जी -


सावन दादुर बादल चिट्ठी, पिया धरा ने पानी |
धरा पिया की खातिर क्या क्या, मैं प्यासी दीवानी-
बाढ़ रही व्याकुलता पल पल, उधर बाढ़ का खतरा-
हे देवेन्दर वर्षा रोको, करिए मत मनमानी ||

Comment by Shyam Narain Verma on July 2, 2013 at 6:26pm

बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई.......................................

Comment by वेदिका on July 2, 2013 at 5:43pm

वाह! वाह! क्या गीत लिखा आपने  देवेन्द्र भाई जी! 

बातें करना भूल गए हैं 
भूल गए हाँ भूल गए हैं 
भूले हाँ भूले सारा प्रेम रे
ना मनवा लागे रे ,,, बहुत  खूब ,, कहीं पिया को सौतनिया तो न मिल गयी हो, क्या जाने राम :))

मधुर बधाई!! 

Comment by Devendra Pandey on July 2, 2013 at 5:33pm

Sadarr Dhanyawad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service