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सुन्दरता इसको घेरी है 
मादकता इसमें पिरोई है 
मीठे में मिश्री जैसा मेरा गाँव 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव 

उंच नीच का भेद नहीं है 
शहरों जैसा क्लेश नहीं है 
फूलों में गुलशन जैसा मेरा गाँव
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव 

सुन्दरता तरुओं की प्यारी 
मादकता सरसों की सारी 

सान्झो में सूरज जैसा मेरा गाँव 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव 

नदियों की कल कल है इसमें 
झरनों की झर झर है इसमें 
चिड़ियों में कोयल जैसा मेरा गाँव 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव

हरियाली रहती खेतों में 
खुशहाली रहती पेड़ों में 
अँधेरे में दीपक जैसा मेरा गाँव 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Devendra Pandey on July 8, 2013 at 11:20am

Adarniyo ko sadarr dhanyawad 

Comment by MAHIMA SHREE on July 7, 2013 at 3:16pm

सुंदर प्रस्तुती ... बधाई आपको

Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:35am

बहुत खूब सुंदर तस्वीर उकेरी है आपने ये गाँव की,,

//उंच नीच का भेद नहीं है // 

इस पंक्ति पे इतना जरुर कहना चाहूंगी की ऊँच नीच का भेद गाँव में बहुत जोरों पर है, यहाँ जाति तो छोडिये, उपजातियों में भी बेहद छुआछूत अब भी चलती है!  

शुभकामनाये!! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 1:06am
""नदियों की कलकलहै इसमें झरनों की झरझरहै इसमें चिड़ियों में कोयलजैसा मेरागाँव सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव'

हरियाली रहती खेतों में खुशहालीरहती पेड़ों में अँधेरेमें दीपक जैसा मेरा गाँव सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव""...आदरणीय..देवेन्द्र भाई, सचमुच शहर से दूर गांव की बात ही निराली है! कितना सुकुन रहता है वहाँ, केवल पंछियों की चहचहाना, नदियों कलकलाहट, हवा की सरसराहट! खेतों की हरियाली! वाह ...! हार्दिक बधाई

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