For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक क्षण ,

मैंने उस फूल की पंखुड़ी को होठों से,
सहला भर दिया था 
सिहर गयी थी शाख,
जड़ की गहराईयों तक,
हिल उठी थी धरा,
भौंचक था आसमाँ  भी
उस पल 
कितना सहम गया था बागवाँ,
तब, ठिठक कर रुक गया था,
जिंदगी का कारवाँ,
लगा-
कहीं  कोई भूल तो नहीं हो गई,
उफ़!
मैंने तो बस सराहा था, 
ऐसा तो नहीं चाहा था . 
 मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on July 10, 2013 at 1:56pm

बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2013 at 10:53am

आपका सदा स्वागत है, आदरणीय ललितजी.. .

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 4, 2013 at 6:33am
नीरजम भाई, वीनस भाई और निकोरे सर जी का आभार 
सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 4, 2013 at 6:32am
आदरणीय सौरभ भाई,
 आपने, मर्म का जो यथार्थ चित्रण अपनी कूची से किया, भावविह्वल कर गया।
सादर 
Comment by वीनस केसरी on July 3, 2013 at 11:02pm
डॉ साहब थोडा कह कर बहुत कुछ कह गये ... रचना की सार्थकता स्वयं सिद्ध है

हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by बृजेश नीरज on July 3, 2013 at 9:42pm

बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई!

Comment by vijay nikore on July 3, 2013 at 8:18pm

इस सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 7:32pm

सौंदर्य और लालित्य के प्रति दृष्टिबोध सदा से सामाजिक चेतना के लिए अत्यंत संवेदशील विन्दु रहा है.

जो सौंदर्य अनुभूतियों को स्वर देता है, जो लालित्य भावनाओं को विस्तार देता है स्थूल रूप से सभाव्य हो कर सामाजिक मर्यादाओं का अतिक्रमण करता प्रतीत होता है.

इस अत्यंत बारीक रेखा का संतुलित निर्वहन रचनाकर्म की उदात्तता और रचनाकार के व्यक्तित्व का उद्घोष है. नैतिकता की सापेक्ष परिभाषा नहीं होती किन्तु एक अनुमन्य विन्दु को भाव-चितेरा सदा से संवेदित करता रहा है.

प्रस्तुत रचना इसी निर्दोष एवं अनायास अन्वेषण को समर्पित भाव दशा है.

इस रचनाकर्म केलिए आदरणीय ललितजी का सादर अभिनन्दन.

सादर

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 3, 2013 at 6:01pm

आप सारे सुधी जनों का आशीर्वाद सर माथे 

 सदर आभार 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 3, 2013 at 5:23pm

आदरणीय डॉ ललित कुमार जी, छंद मुक्त कविता में भावनाओं को पिरोने का कार्य बाखूबी संपन्न हुआ है, कविता हुई है, इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर ढेरों बधाईयाँ प्रेषित है, स्वीकार करें .  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service