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विपत-प्रबंधन ढील, बहे घर-ग्राम-कबीला-

थोथी-थूल दलील दे, भाँजे लापरवाह |
लीला लाखों जिंदगी, कातिल है नरनाह |
कातिल है नरनाह, दिखाए दुर्गति-लीला |
विपत-प्रबंधन ढील, बहे घर-ग्राम-कबीला |
धरे हाथ पर हाथ, मजे में बाँचे पोथी |
छी छी सत्ता स्वार्थ, थुड़ी थू थोथा-थोथी ||

मौलिक / अप्रकाशित

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Comment

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Comment by रविकर on July 2, 2013 at 8:56am

आभार आदरणीय-
थुड़ी=धिक्कार-धिक्कारना-
तिरस्कारसूचक शब्द-
सादर-


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2013 at 5:25am

रविकर शैली की यह कुण्डलिया सामयिक घटनाक्रमों में से एक अत्यंत विनाशकारी आपदा पर शब्द प्रक्षेपण कर रही है. बहुत सुन्दर कहन और प्रयास !

थुड़ी का अर्थ क्या हुआ यह समझ नहीं पाया, आदरणीय.

सादर

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