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देखो चुपके से रात चली है [नज़्म]

चाँद सितारों संग, महकी बहारों संग,
देखो चुपके से रात चली है ।
गहरी खामोशी में, ऐसी मदहोशी में ,
दिल में फिर तेरी बात चली है ।

चाँद का जब दीदार करूँ तो ।
दिल के झरोखे से प्यार करूँ तो ।
यादों की महकी बारात चली है ।

पूछो ना काटी कैसे तनहाई ।
याद जो आये वो तेरी जुदाई ।
आँखों से मेरे बरसात चली है ।

थाम के बाहें बाहों में ऐसे ।
चले दो राही राहों में ऐसे ।
जैसे संग सारी कायनात चली है ।

प्यार से बढ़के कुछ भी नही है ।
मै भी नही हूँ तू भी नही है ।
रब से हमे ये सौगात मिली है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on June 30, 2013 at 8:43pm

सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको //

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2013 at 5:13pm
आदरणीय...नीरज जी, बेहद खूबसूरत रचना,......" प्यारसे बढ़के कुछ भीनहीहै । मै भी नही हूँ तू भी नही है । रब से हमे येसौगात मिली है ।""उतनी ही सुंदर पंक्तिया,, दिली शुभकामनाऐ स्वीकार करें...
Comment by Dr Babban Jee on June 30, 2013 at 4:24pm

Kya Khub kaha hai Neeraj Ji- Dil mein Fir teri baat chali Hai ! Badhai sundar najm ke liye

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 4:02pm

वाह! यादों की महकी बारात चली है......

Comment by coontee mukerji on June 30, 2013 at 3:48pm

बरसात की बूँदें और प्यार के तराने , मौसम अनुकूल नज़्म ....क्या कहने ...!

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