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व्यथा!

तुम

मन के किबाड़े

खोलना मत 

खोलना मत 

सौ तरह के 

व्यंग होगे 

धूल धूसर 

संग होंगे 

भाव कोई गैर 

अपनी 

भावना में 

घोलना मत 

घोलना मत 

व्यथा!

खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से 

बोलना मत 

बोलना मत 

व्यथा!  

गीतिका 'वेदिका'

मौलिक एवम अप्रकाशित  

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Comment

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Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:45pm

आपका आभार जितेन्द्र जी!

आपको रचना सुंदर लगी ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है।    आपने रचना के मर्म को जाना,, रचना सार्थक हुआ। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए   अनमोल है।  आपका आभार जितेन्द्र जी!

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:41pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी! आप की रचनाये भाव प्रधान रहती है … इस लिए जब आपकी प्रतिक्रिया रचना पर मिली तो लगता है रचना सही कसौटी से गुजरी। आपने बहुमूल्य राय  से अवगत करने हेतु आभार आपका  

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:39pm

आदरणीय जवाहर जी! महिमा जी की प्रतिक्रिया से तो मै भी सहमत हूँ 

आपका शुक्रिया!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 24, 2013 at 9:43am
आदरणीया..गीतिका जी, सादर आभार आपका..."आपकी रचना की पंक्तियां सुंदर व मर्म को छूने वाली हैं..." शुभकामनाऐं आदरणीया
Comment by vijay nikore on June 24, 2013 at 8:30am

//खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से 

बोलना मत 

बोलना मत 

व्यथा!  //

 

अति सुन्दर मार्मिक भाव!

बधाई, गीतिका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 24, 2013 at 8:08am

आदरणीया गीतिका जी, सादर अभिवादन!

महिमा जी की प्रतिक्रिया में सहमति ब्यक्त करता हूँ!

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 2:46am

आभार जीतेन्द्र जी! आपने व्यथा की रचना में सुन्दरता खोज ली,,,  

Comment by वेदिका on June 23, 2013 at 9:00pm

आभार आपका आदरणीय महिमा श्री जी! 

 //कहते है दुःख बाटने से घटता है और ख़ुशी बाटने से बढती है//

 पर ये भी तो कहते है न "रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय 

सुन अठलेहे लोग सब बाट न लेहे कोय"  ……। पर फिर भी कुछ अपने होते होंगे  महिमा जी! जिनसे अपने पीर व्यक्त किये जा सके। 

आपका पुनः आभार भरे दिल से   

Comment by MAHIMA SHREE on June 23, 2013 at 8:27pm

खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से

बोलना मत 

 

 ....

बहुत खूब गीतिका जी अच्छी प्रस्तुति हैं  पर कहते है दुःख बाटने से घटता है और ख़ुशी बाटने से बढती है .. सादर

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 23, 2013 at 7:08pm
आदरणीया..गीतिका जी, बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी पंक्तियां...शुभकामनाऐं

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