For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन नदियों की पीठ पर लहरें /जाने क्‍या-क्‍या लिखती है

इन नदियों की पीठ पर लहरें

जाने क्‍या-क्‍या लिखती है

 

मतपत्रों से

रिसते वादे

निठुर वंचना

हेठ इरादे

नारों की

नीली पगडंडी

और पुनर्मिलन

के वादे

या फिर

मत देने से पहले

पाई कालिख लिखती है

 

इन नदियों ...............

 

नित्‍य पथिक जो

बने पर्यटक

कहां फिरे

उस राह आजतक

और सुलगते

खेतों में जब

उगी फसल

कुछ हिंस्‍त्र दूर तक

संगीनों की वही कहानी

रोज नहीं क्‍या लिखती है ?

 

इन नदियों ...............

 

खटे मेघ

जी भर के फिर से

इन उजड़े

वीरानों में

देखें अबके

क्‍या मिलता है

लुटे-पिटे अरमानों में

ध्‍यान मग्‍न यह

धारा भी तो

कीर्तन सा कुछ लिखती है

 

इन नदियों ...............

 

(पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on November 28, 2013 at 9:54pm

kuch na kah sakne ki istithi ......nih-shabdh ...sirf apki soch ki gahrai ko naman  kar sakta hoo........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 11:06pm

इस रचना पर निश्शब्द हूँ आदरणीय राजेश कुमार झा जी. . विलम्ब से आने के लिए क्षमा.. .

अपने ऊँचे भाव, सटीक शब्द चयन और प्रबुद्ध शिल्प से यह रचना मोह लेती है.

विसंगतियों का दर्द उभर कर आया है. 

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on June 20, 2013 at 5:05pm

आप सबका हार्दिक आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 3:05pm

वाकई सुंदर ...पढने में भी आनंद आया ..बंधी हुई रचना ..और ब्रिजेश जी से मैं भी इत्तेफाक रखता हूँ 

Comment by बृजेश नीरज on June 19, 2013 at 11:00pm

अति सुंदर! बाकी तो वीनस जी ने कह ही दिया तो दोहराने से क्या लाभ! उसे मेरा लिखा भी मानें।
आपको हार्दिक बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 10:01pm

आदरणीय राजेश जी//सुन्दर नवगीत।...बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on June 19, 2013 at 6:14pm

आप सबका हार्दिक आभार, स्‍नेह बनाए रखें, सादर

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 10:09am

वाह भाई जी आनंदमाय हो गया ...
किसी सधी हुई रचना है ...

ऐसी उत्तम रचनाएँ कम ही देखने पढ़ने को मिलाती हैं ...
सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on June 18, 2013 at 2:28pm

अतिसुन्दर  प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  

Comment by विजय मिश्र on June 18, 2013 at 2:24pm
आज के इस लुटे-पीटे वातावरण पर जबरदस्त कटाक्ष . बहुत सुंदर लिखा राजेशजी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service