For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक तल्ले पे था चाँद तो उन दिनों

पर कटे से पड़े तडफडाते रहे 

इश्क़ में उनके ऐसे फँसे दोस्तोँ !

 

रूबरू वो हुये चार पल के लिए 

जाम नैनों अधर के पिला दोस्तों !

 

मयकशी में मुकद्दर के मारे तभी 

लूट हँसते चले रोते हम दोस्तों !

 

मुड़  के देखे कभी दिल को छलनी किये 

पैठ दिल में बना वो गए दोस्तों !

 

पंछी उड़ता रहा दाना चुगता रहा 

हम ठगे से खड़े देखते दोस्तों !

 

एक तल्ले पे था चाँद तो उन दिनों 

सौ अटारी चढ़ा अब लगे दोस्तों !

 

दिन में दिखता  नहीं रात अठखेलियाँ 

बादलों को खिलौना बना दोस्तों !

 

मुझसे बादल कई छू गये ख्वाब ले 

अपनी हस्ती मिटा खो गए दोस्तों !

 

चाँद पूरा कभी ये अधूरा करे 

रौशनी कर अमावस दिखा दोस्तों !

 

हम भी सूरज थे कल आज जुगनू बने 

खुश मगर चाँद दिखता  तो  है दोस्तों !

 

हूँ  'भ्रमर' पर-कटा कैद उनकी पडा 

इश्क काँटों में खुशबू भी है दोस्तों ! 

 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५ 

कुल्लू हि प्र. 

८ जून 2 0 1 3 -12 .39 पूर्वाह्ण  

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 10, 2013 at 2:07pm

प्रिय सुमित नाथानी जी ..आभार रचना को आपने सराहा मन खुश 

हुआ 
भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 10, 2013 at 2:06pm

प्रिय श्याम नारायण जी रचना का आनंद लेने और उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 10, 2013 at 2:04pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आभार आपका कविता पसंद आई ग़ज़ल का अहसास हुआ सुन खुशी हुई अत्यधिक व्यस्तता के कारण काव्यधारा की तरणी मे नही तर पा रहा आप जैसे ग़ज़ल गुरु से उम्मीद होगी कोई ग़ज़ल के रूप में इसे तराशे /  सिखाये  तो आनंद  और आये 

Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 12:20pm

हम भी सूरज थे कल आज जुगनू बने 

खुश मगर चाँद दिखता  तो  है दोस्तों !.........सुन्दर भाव 

Comment by Shyam Narain Verma on June 10, 2013 at 11:50am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 10, 2013 at 11:39am

एक तल्ले पे था चाँद तो उन दिनों 

सौ अटारी चढ़ा अब लगे दोस्तों !

 

दिन में दिखता  नहीं रात अठखेलियाँ 

बादलों को खिलौना बना दोस्तों !

 वाह वाह बहुत सुन्दर कविता लिखी है भ्रमर जी देखते ही ग़ज़ल का भान हुआ कोशिश करते तो एक बेमिसाल ग़ज़ल बनती चलो कोई नहीं इस शानदार प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
13 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
18 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
19 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
20 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service