For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : अरुन शर्मा 'अनन्त'

फाईलु / फाइलातुन / फाईलु / फाइलुन

वज्न : २२१, २१२२, २२१, २१२

नैनो के जानलेवा औजार से बचें,
करुणा दया ख़तम दिल में प्यार से बचें,


पत्थर से दोस्त वाकिफ बेशक से हों न हों,
है आइना फितरती दीदार से बचें,

आदत सियासती है धोखे से वार की,
तलवार से डरे ना सरकार से बचें,

गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,

नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,

जो चासनी लबों पर रख के चले सदा,
इंसान है मतलबी उपकार से बचें....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 11, 2013 at 3:48pm

sundar ghazal hai shaandaar hone ke aasaar hain 

shubhkaamnaayen ...

Comment by Vindu Babu on June 11, 2013 at 12:59pm
वाह! आदरणीय अरुण जी।
जो चाशनी लबों पर रखके चले सदा
इंसान है मतलबी उपकार से बचें..
क्या बात है!सचेत करता हुआ अति सुन्दर कथ्य।
सादर बधाई!
Comment by Shyam Narain Verma on June 10, 2013 at 3:19pm

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..

Comment by Abid ali mansoori on June 10, 2013 at 12:36pm
गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तोँ,
जीवन मेँ खास ऐसे किरदार से बचेँ,वाह...
आदरणीय अरुन जी हार्दिक बधाई आपको!
Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 12:15pm

गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,...सुन्दर प्रस्तुति 

Comment by D P Mathur on June 10, 2013 at 10:45am

अति सुन्दर !!!

Comment by Sarita Bhatia on June 9, 2013 at 11:06pm

अरुण हार्दिक बधाई स्वीकारें इस बढ़िया गजल के लिए 

शुभाशीष 

Comment by MAHIMA SHREE on June 9, 2013 at 2:25pm

नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,

जो चासनी लबों पर रख के चले सदा,
इंसान है मतलबी उपकार से बचें....

नमस्कार अरुण जी ..

बहुत -२ बधाई आपको . . बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..

Comment by annapurna bajpai on June 9, 2013 at 11:44am

hardik badhai arun sharma ji .

Comment by ram shiromani pathak on June 9, 2013 at 11:18am

नैनो के जानलेवा औजार से बचें,
करुणा दया ख़तम दिल में प्यार से बचें///वाह फटे हाल मज़नू की कहानी //हा हा हा हा 

गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,

नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,///////////वाह वाह ये हुई  ना बात 

हार्दिक बधाई आदरणीय भाई अरुण जी ///सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service