For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे इन्तेज़ार का मौसम!

सजी हैँ ख़्वाब बनकर
जुगनुओँ की तरह
मासूम हसरतेँ दिल की
हिज़्र की पलकोँ पर...


यह टीसती हवायेँ
यह लम्होँ की तल्खियां
मचलने लगी है
हर तमन्ना
वक्त की आगोश मेँ..

मुन्तज़िर है आज भी दिल
किसी मख़्सूस सी
आहट के लिए..


यह मंज़र यह फ़िज़ायेँ
यह प्यार का मौसम
कितना है हसीँ
तेरे इन्तेज़ार का मौसम..!

*******************************

(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on June 9, 2013 at 12:27pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी सप्रेम नमस्कार,बेहद प्रसन्नता हुई आपकी प्रतिक्रिया पाकर,हार्दिक आभार आपका!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2013 at 11:41pm

किसी की प्रतीक्षा में रची गई रचनाएं लिखी भी हैं और बहुत पढ़ी भी हैं किन्तु आपकी उर्दू शब्दावली से रची रचनाएं मानो  सिंगार  कर मुखरित हो उठती हैं जिनकी तारीफ करना तो बनता है --वाह !!

Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 3:29pm
आदरणीय भाई रामशिरोमणि जी हार्दिक आभार आपका!
Comment by ram shiromani pathak on June 8, 2013 at 2:38pm

मुन्तज़िर है आज भी दिल
किसी मख़्सूस सी
आहट के लिए../////वाह वाह बहुत खूब!

ढेरों ढेरों बधाइयां!

Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 2:32pm
आदरणीय श्री विजय निकोर जी सर्वप्रधम हार्दिक आभार आपका,आशा है आपका आशीर्वाद एवं रचनाओँ को लेकर मेरा मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ रहेगा!
_आबिद
Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 2:29pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय माथुर जी!
Comment by vijay nikore on June 8, 2013 at 1:59pm

//यह मंज़र यह फ़िज़ायेँ
यह प्यार का मौसम
कितना है हसीँ
तेरे इन्तेज़ार का मौसम..!//

बहुत ही खूबसूरत!

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by D P Mathur on June 8, 2013 at 12:33pm

आबिद जी बहुत उम्दा रचना  !

Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 11:52am
आदरणीय भाई अरुन जी,दिल की गहराइयोँ से आपका आभार,बड़े ही सुन्दर शब्दोँ मेँ आपने मेरी रचना के भावोँ को प्रस्तुत किया है,एक बार पुनः आभार आपका!
Comment by Arun Sri on June 8, 2013 at 10:09am

 जुदाई की पलकों पर चाहतों का सजना , प्रतीक्षा के कठोर पलों में भी मचलती इच्छाएँ , किसी खास के आहट का प्रतीक्षारत ह्रदय , अब मौसम क्यों न हसीन लगे  ! और क्यों न लगे !प्रतीक्षा के क्षणों को बखूबी शब्दों में बाँधा है आपने !बढ़िया !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service