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ग़ज़ल// कोई मौसम नहीँ होता!

किसी की याद आने का,कोई मौसम नहीँ होता,
अश्क फुरकत मेँ बहाने का,कोई मौसम नहीँ होता!


कौन जाने कब वफा से,बेवफा हो जाये को

फ़रेब इश्क मेँ खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

राहे उल्फ़त मेँ देखा है,हमने आसियां बनाकर,
दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

उम्र भर का निभाई साथ कोई,यह ज़रुरी तो नहीँ,
पल मेँ बिछड़ जाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

हो ही जाती है मोहब्बत,राहोँ मेँ ज़िँदगी की,,
किसी को चाहने का 'आबिद' कोई मौसम नहीँ होता!!

(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी

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Comment by Abid ali mansoori on June 8, 2013 at 2:35pm
जी अवश्य ही आदरणीय अरुन भाई,हार्दिक आभार!
Comment by अरुन 'अनन्त' on June 8, 2013 at 1:39pm

भाई आबिद अली साहब बहुत खूब ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत ही सुन्दर है इस हेतु बधाई स्वीकारें. गुरुजनों ने बाकी सब कह ही दिया है उनके कथन पर गौर फरमाएं सधते सधते सध जाएगा.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2013 at 2:41pm
"सादर आभार " आपका आबिद साहब..आप ऐसे ही मन की अनुभूति को शब्दो का रूप देते रहिये " शुभकामनाऐं आपके साथ रहेगीं...शुक्रिया
Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 2:39pm
शुक्रिया आदरणीय बृचेश नीरज जी!
Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 2:15pm

आपके इस प्रयास पर मेरी ढेरों बधाई। 

Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 1:35pm
आदरणीया रोशनी जी और आदरणीय दिव्या जी हार्दिक आभार आपका इस हौसला अफ़्जाई के लिए,धन्यवाद!
Comment by दिव्या on June 7, 2013 at 12:59pm

अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता! वाह बहुत खूब 

Comment by Roshni Dhir on June 7, 2013 at 12:32pm

आबिद जी नमस्कार 

बहुत अच्छा लिखा आपने 

भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!

बहुत सुंदर पंक्तियाँ 

Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 12:15pm
आदरणीय भाई जितेन्द्र जी समझ नहीँ पा रहा हूं किन शब्दोँ मेँ आपका शुक्रिया अदा करूं!
हार्दिक आभार आपके इस प्यार के लिए!
Comment by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 12:00pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी,मैँ अभी कुछ देर पहले तक आदरणीय वीनस जी के ग़ज़लोँ से सम्बन्धित लेखोँ का अध्यन कर रहा था!

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