For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिन तेरे//आबिद अली मंसूरी

कितने तल्ख हैँ लम्हे
तेरे प्यार के वगैर
यह ग़म की आंधियां
यह तीरगी के साये
जैसे कोई ख़लिश
हो हवाओँ मेँ..
डसती हैँ मुझको पल-पल
पुरवाइयां
तेरी यादोँ की
बे रंग सी लगती है
ज़िंदगी अब तो
कुछ भी तो नहीँ जैसे
इन फिज़ाओँ मेँ...बिन तेरे!

(मौलिक व अप्रकाशित)

__आबिद अली मंसूरी

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on June 9, 2013 at 2:16pm
आदरणीया प्रियंका जी हार्दिक आभार आपका!
Comment by Priyanka singh on June 9, 2013 at 12:22am

दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!.........सुन्दर .....बधाई 

Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 12:04pm
बहुत खूब आदरणीया राजेश कुमारी जी,हार्दिक आभार आपका स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2013 at 11:06am

कितने तल्ख हैँ लम्हे
तेरे प्यार के वगैर
यह ग़म की आंधियां
यह तीरगी के साये----कोमल एहसास को जीती पंक्तियाँ ये प्रस्तुति सच में तारीफ की हक़दार है इनको पढ़कर अपनी बहुत पुरानी एक ग़ज़ल का मुखड़ा  याद आया ---इन फूलों में अब नमी न रही तेरे जाने के बाद 

                    गुलशन  में तब  कमी न रही तेरे आने के बाद 
Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 9:53am
आदरणीय विजय मिश्र जी हृदय से आभार आपको,नमन!
Comment by विजय मिश्र on June 6, 2013 at 9:44am
कविता छोटी मगर वजूद का विस्तार इतना बृहद की ..... आनंद आ गया आबिद भाई,
बधाई आपको .
Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 9:14am
आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आपका!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2013 at 7:43am

बढिया है..

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 9:36pm
आदरणीय संदीप जी हृदय से आभार आपको!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:21pm

क्या बात है कम शब्दों में सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई हो आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service