For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन मूरख

मान मान मन मूरख मेरे,

मत फंस विषय जाल मे,

जो सुख चाहे भाग विषयन से,

मत इन फंद फंसे री ।

जनम जनम नहि इनसे उबरें,

ताते ध्यान धरे री।

लोचदार लोचन रतनारे,

हैं राम चराचर स्वामी,

निर्लेप निरीह अकामी,

कहे सब मुनि जन ज्ञानी।

जिन सारा जग भरमाया,

उनही को हाय भुलाया जी ,

बन के मूरख निपट अनाड़ी।

निद्रा आहार भाय भोगा,

पशु के समान संयोगा,

मानुष तन वृथा भया जी।

नहीं फूला हृदय समावे,

यमराज काल खा जावे,

नहि होवै तनक अनारी जी ।

सोता है मूरख अनारी ,

अबलौं नहि आँख उघारी,

सब  लाद  चुके बंजारा जी ॥

.

 - अन्नपूर्णा बाजपेई

( मौलिक एवं अप्रकाशित)   

Views: 417

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on June 6, 2013 at 9:10am

आदरणीय अशोक जी धन्यवाद ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 6, 2013 at 8:39am

सोता है मूरख अनारी ,

अबलौं नहि आँख उघारी,

सब  लाद  चुके बंजारा जी ॥.........आदरणीया अन्नपूर्णा जी सुन्दर रचना.

.

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 4:11pm

बहुत बहुत आभार बृजेश जी उत्साह वर्धन के लिए , यूं ही मार्ग दर्शन एवं उत्साह वर्धन करते रहिए ।  

Comment by बृजेश नीरज on June 3, 2013 at 10:03am

आकर्षक प्रयास है! आपको ढेरों बधाई!

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 1:02am

आपका हार्दिक आभार राम शिरोमणि जी एवं श्याम जी ।

Comment by ram shiromani pathak on May 29, 2013 at 6:47pm

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें

Comment by Shyam Narain Verma on May 29, 2013 at 5:06pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद गर्मी में है वायरल, नया नवेला ट्रेंड।प्यास कहे बोतल सुनो,तुम ही सच्ची फ्रेंड।। पानी भी…"
29 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचनात्मकता पर मंच को कभी संदेह रहा ही नहीं है। बस  शिल्प और विधान को लेकर सचेष्ट हो…"
36 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सुझावों को सम्मान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी."
42 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"घटिया बोतल में बिके, दूषित गंदा नीर| फिर भी पीते लोग हैं, बात बड़ी गम्भीर||// जी बहुत सही बात। खाली…"
58 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए हार्दिक आभार आदरणीय। पंक्ति यूँ करता हूँ: तापमान को टाँकना, चाहे जितने…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"छिपन छिपाई खेलता,सूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- प्रदत्त चित्र पर क्या…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर ........ वाह, सूरज को…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जलता सूरज जेठ का, खींचे सारा नीर। एक घूंट से क्या बुझे, तृष्णा है गंभीर।।// वाह. बहुत सुन्दर..…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सूरज   आँखें   फाड़कर, जहाँ  रहा  ललकार। वहीँ  चुनौती …"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दो पल बरसा दे अगर, शीतल जल की धार।तन-मन ये मन  से  करें,  बदली का आभार।१३।// वाह…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी, प्रदत्त चित्र पर आपका प्रयास अच्छा है। मौसम को चुनौती देती…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service