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प्रहार ये प्रचण्ड है

खण्ड खण्ड में विभक्त है मनुष्यता अपार
आसुरी प्रवृत्ति का प्रहार ये प्रचण्ड है
आ रहा समक्ष भी न देव शक्ति का प्रभाव
दुष्ट को प्रताड़ना विधान या न दण्ड है
सन्त हीन है समाज, शक्तिवान में प्रभूत --
आज देख लो सखे बढ़ा हुआ घमण्ड है
भारती अपंग हो गई सुनो परन्तु मित्र
घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखण्ड है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

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Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 29, 2013 at 3:09pm

प्रभूत आभार अशोक जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 29, 2013 at 8:37am

सादर, प्रतिक्रया पता नहीं किस कारण आदरणीय राज कुमार जी की प्रतिक्रया में चली गयी है. देख लें.सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 29, 2013 at 8:35am

आदरणीय डॉ. आशुतोष वाजपेयी साहब सादर, देश के वर्तमान हालातों पर सरकार के झूठ पर खिन्नता प्रदर्शित करते सुंदर मनहरण छंद पर सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 27, 2013 at 10:08am

शालिनी जी, लक्ष्मण जी, सीमा जी, अनुज जी, विजय जी, राजकुमार जी, जवाहर जी, केवल प्रसाद जी आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद और आभार......

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 26, 2013 at 9:34am

आ0 आशुतोष भाई जी,   बहुत सुन्दर।...’भारती अपंग हो गई सुनो परन्तु मित्र, घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखण्ड है ’  शानदार तेवर वाह!   बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 25, 2013 at 9:06pm
एक प्रयास मेरा भी, आपकी कविता की श्रेष्ठता के लिए 

हरेक शब्द है प्रचंड मेघ की दहाड़ है 

कायरों की धरती में सिंह भी सियार है!
Comment by विजय मिश्र on May 24, 2013 at 1:25pm

मानवीय कुसंस्कारों ,अपचेष्टताओं का और राष्ट्रीय वेदनाओं का पीड़ादायी रेखांकन , त्राण दो भगवान .

Comment by Anuj kumar Pandey on May 24, 2013 at 11:50am

बहुत सुन्दर .....

Comment by seema agrawal on May 23, 2013 at 7:30pm

राष्ट्र के प्रति प्रेम भाव को प्रगट करने के लिए राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से सम्बंधित जो चिंता आपने जताई है वही आपके राष्ट्रप्रेमी प्रवृत्ति को उद्घाटित कर रही ...सुन्दरएवं प्रवाहमान कवित्त के माध्यम से प्रस्तुत आपके भावों के लिए आपको हार्दिक बधाई आशुतोष जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 23, 2013 at 5:21pm

सुंदर उदघोष रचना के जरिये बधाई, मेरे मन के उदगार आदरणीय डॉ आशुतोष जी -

घोष हो रहा कि राष्ट्र नित्य ही अखंड है 

मनुज कर रहा भारत माँ की खंड खंड है 

आंसुरी प्रवर्ती का प्रहार ये प्रचंड है 

तनाव में जी रहा मनुज उसीका दंड है | - लक्ष्मण लडीवाला

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