For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वाह रे खुदा!

हैरान हूँ तेरी खुदाई देखकर;

तेरी मेरी भावना से 

मानव की पाटी खाई देखकर|

ना उसे मिला कुछ

ना ही कुछ इसे मिला;

फिर क्या बकवास नहीं

दुश्मनी का ऐसा सिला?

चिराग जला करे घर रोशन 

अपने घर की मुंडेरों से;

तो क्या खता, गर रहबर कोई

बचाए खुद को ठोकरों से?

पर नहीं, बिलकुल नहीं

मानव को यह सुहाता नहीं;

अपना घर रोशन भले ना हो

दूसरे को रास्ता दिखाना भाता नहीं|

आज की पारी तेरे नाम तो क्या

कल के बाद परसों भी आएगा;

मत भूल ऐ रे मानव!

तब क्या खुद को पहचान पायेगा?

- उषा तनेजा  

मौलिक एवं अप्रकाशित  

 

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on May 7, 2013 at 9:54pm

Respected Usha ji, Thanks for your blessings! It is all your blessings which worked for me! Thanks a lot.

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 9:24pm
Respected Brajesh Kumar ji, I am thankful to you for your kind suggestion.
Also hearty congratulations for ' the most active member of the month' award.
Comment by बृजेश नीरज on May 7, 2013 at 6:25pm

आदरणीया आपकी कविता को पढ़ने वाला क्या समझे? कविता पाठक के लिए होती है न कि केवल खुद के लिए। बहरहाल बधाई।

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 5:48pm

आदरणीय बृजेश कुमार सिंह जी, टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार!

गलती खुदा की हो या मानव की, गलती तो गलती होती है; मानव से हो तो खुदा से माफ़ी, खुदा से हो तो 'उस' की रज़ा होती है.

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 5:42pm

आदरणीय  PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी, ऐसा हो सकेगा या नहीं, मैं कुछ कह सकती नहीं; पत्थर हमने तबीयत से... , छेद आसमान में होगा ही. 

सादर आभार प्रोत्साहन के लिए.

अपनी कृपा बनाये रखियेगा.

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 5:37pm

आदरणीय  Laxman Prasad Ladiwala जी, सादर नमन. आप जैसे दोस्त हैं संग, तो फिर कैसा गम; जितनी भी हों मुश्किलें, सीखते जायेंगें हम. 

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 5:34pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी, आपकी बधाई के लिए हार्दिक धन्यवाद. मैंने इस कविता के ज़रिये कोशिश की है कि खुद को ही सामने रखा जाए. माना कि साहित्य समाज में सुधार ला सकता है पर बुराई की पृष्ठभूमि में खुद को आइना दिखाया जाये तो अच्छा रहता है.

Comment by Usha Taneja on May 7, 2013 at 5:28pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale जी, बहुत बहुत शुक्रिया. आपने एक सुझाव दिया है ग़ज़ल प्रस्तुत करने का. यही ख़्वाब आजकल मेरे दिल व दिमाग में पनप रहा है पर मैं किसी ऐसे गुरूजी की खोज में हूँ जो मेरी हर शंका को तसल्ली से दूर कर सके. ग़ज़ल के जितने भी नियम मैंने पढ़े है, वे सभी, मेरे हिसाब से सभी गजलों पर फिट नहीं बैठते हैं. इसीलिए मेरे गुरूजी ही इस का समाधान सुझा सकते है. देखते हैं कौन बनाते हैं मुझे अपनी शिष्या!

क्या आप मेरे लिए दुआ करेंगें?   

Comment by बृजेश नीरज on May 6, 2013 at 3:07pm

आपकी इस रचना पर आपको ढेरों बधाई!
रचना शुरू हुई खुदा की गलती से और खत्म हुई मानव की गलती से। गलती किसकी खुदा की या मानव की?

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2013 at 12:01pm

आज की पारी तेरे नाम तो क्या

कल के बाद परसों भी आएगा;

मत भूल ऐ रे मानव!

तब क्या खुद को पहचान पायेगा?

वासतव मे kya aesa ho sakega 

badhai, sadr 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
34 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
12 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service