For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव के कच्चे घरों में
जहाँ दीवारों पर
पुती होती है पीली मिट्टी
और ज़मीन पर गेरू,
बच्चे बनाया करते हैं 
चित्र,
खींच देते हैं लकीरें
आड़ी-तिरछी,
इधर-उधर  

फिर जब माँ पोछा लगाती है
लिपाई करती है
मिट्टी और गेरू से,
धुल जाती हैं लकीरें
फिर बच्चे चित्रकारी करते हैं
लकीरें खींचते हैं,
फिर माँ लिपाई करती है
और
क्रम अनवरत चलता रहता है

शहर के पक्के घरों में
जहाँ दीवारों पर
लगा होता है मँहगा 'पेन्ट'
और ज़मीन पर बिछे होते हैं
'
टायल्स',
बच्चे चित्रकारी नहीं करते

दीवारों पर कोशिश भी करें
कुछ लिखने की,
तो पड़ जाती है डांट पिता की

और कभी मार भी, यह कहकर -
मकान मालिक आयेगा तो डांटेगा,
बड़ी मुश्किल से मिला है घर
किराये का ।


बच्चों की असँख्य कल्पनाएँ
घुट जाती हैं भीतर ही,
दब जाता है बचपन
मँहगे 'पेन्ट' और 'टायल्स'

की कीमत तले


 आशीष  नैथानी  'सलिल'
 
हैदराबाद

Views: 961

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 8, 2013 at 1:05am

प्रिय सलिल जी  महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए आपको बहुत-२ बधाईयां और शुभकामनाएं.सुन्दर वर्णों से सजी माला  प्यारी गजलें ..........ये कारवाँ यूं ही सतत बढे ...शुभ कामनाएं ...

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 
कुल्लू हिमाचल 
(प्रतापगढ़ उ प्रदेश )

 /


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 1, 2013 at 12:56pm

आदरणीय आशीष जी, 

सही कहा आपने... बच्चों की कल्पनाओं को उन्मुक्त उड़ान के लिए हम पंख पसारने ही नहीं देते.. बच्चों में सहज अभिव्यक्ति का एक प्रचंड रूप है दीवारों पर लिख देना, विविध आकृतियों को बनाना ...जो आज के बढते शहरीकरण और आलीशान इमारतों में अस्वीकार्य सा हो गया है...

इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

देखिये एक रूप बाल अभिव्यक्ति का.... माँ के दिए गेरू के घोल से बच्चा कैसे फर्श को रंगता है...  

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 1, 2013 at 11:40am

आदरणीय Vijay Nikore जी, आदरणीय  Kewal Prasad जी 

ह्रदय-तल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 1, 2013 at 11:38am

आदरणीया Usha Taneja जी, बहुत-बहुत शुक्रिया आपका |

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 1, 2013 at 11:36am

आदरणीय Laxman Prasad Ladiwala जी, ये तो बहुत ही अच्छी बात है कि आपके पोते-पोतियाँ कलाकारी करते हैं और आप उनकी कला का अनुमोदन !  :)

कविता पसंद करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय !!!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 1, 2013 at 11:33am

आदरणीय Rajesh Kumar Jha जी । समय के साथ बहुत कुछ पीछे छूटता जाता है। लेकिन दुखद ये कि शहरीकरण में आज के बच्चे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं । बस कोशिश है इस ओर ध्यान दिलाने की ।

आपको कविता पसंद आई, हार्दिक आभार  !!!

Comment by वेदिका on April 30, 2013 at 11:04pm

बहुत सुन्दर काव्य रचा है आपने अतुकांत काव्य शैली में .....
बचपन के घुट जाने का मार्मिक वर्णन ...
अब आज का जमाना बहुत आगे है ..बच्चे ms वर्ड पे पेंटिंग करने लगे है, और ब्लॉग में स्कैन करा के रातों रात ग्लोबल हो जाते है ..ये बात अलग है की वे बचपन में ही जवान हो जाते है 

शुभकामनाये स्वीकारिये आशीष जी! 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 30, 2013 at 10:24pm

बहुत-बहुत शुक्रिया भाई मनोज शुक्ला जी !!!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 30, 2013 at 9:59pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale जी, बहुत-बहुत शुक्रिया सर।

कविता को आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ तो लिखना सार्थक हो गया ।

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 30, 2013 at 8:28pm

आदरणीय अजय जी, कविता पसंद करने हेतु हार्दिक अभिनन्दन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
21 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service