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छोटी छोटी बातों पर 

अनायास ही अनचाहे 

मन मुटाव हो जाता है 

दुराव हो जाता है 

दूरी बढ़ जाती है 

हम तिलमिला जाते हैं 

मौन हो जाते हैं 

अहम भाग जाता है 

मन का यक्ष प्रश्न बार बार 

झकझोरता है 

कुरेदता है 

हम बड़े हैं  फले-फूले हैं 

हम देते हैं पालते हैं 

पोसते हैं 

न जाने क्यों फिर लोग 

हमे ही झुकाते हैं -नोचते हैं 

वैमनस्य --मारते हैं  पत्थर 

कैसा संसार ??

और वो बिन बौर-आये 

बिना फले -फूले 

ना जाने कैसे -सब से 

पाता दया है 

रहमो करम पे 

जिए चला जाता है 

पाता दुलार !!

-----------------------------------

माँ ने मन जांचा -आँका 

पढ़ा मेरे चेहरे को -भांपा 

नम आँखों से -सावन की बदली ने 

आंचल से ढाका 

फली हुयी डाली ही 

सब ताकते हैं 

उस पर ही प्यारे -सब 

नजर -गडाते हैं 

लटकते हैं -झुकाते हैं 

पत्थर भी मारते हैं 

अनचाहे -व्याकुल हो 

तोड़ भी डालते हैं 

रोते हैं -कोसते हैं 

बहुत पछताते हैं 

नहीं कोई वैमनस्य 

ना कोई राग है 

अन्तः में छुपा प्यारे 

ढेर सारा 

उसके  प्रति प्यार हैं 

--------------------------

मन मेरा जाग गया 

अहम कहीं भाग गया 

टूटा-खड़ा हुआ मै

फिर से बौर-आया 

हरा भरा फूल-फूल 

सब को ललचाया 

फिर वही नोंच खोंच 

पत्थर की मार !

हंस- हंस -मुस्काता हूँ 

पाता दुलार !

वासन्ती झोंको से 

पिटता-पिटाता मै 

झूले में झूल-झूल 

बड़ा दुलराता हूँ 

हंसता ही जाता हूँ 

करता दुलार !!

-----------------------

शुक्ल भ्रमर ५ 

कुल्लू यच पी 

३०.३.१२ -४.४५-५.११ पूर्वाह्न 

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Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on April 24, 2013 at 12:40pm

BAHOT KHOOB...............

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 24, 2013 at 9:01am

मन मेरा जाग गया 

अहम कहीं भाग गया 

टूटा-खड़ा हुआ मै

फिर से बौर-आया 

हरा भरा फूल-फूल 

सब को ललचाया 

फिर वही नोंच खोंच 

पत्थर की मार !

हंस- हंस -मुस्काता हूँ 

पाता दुलार !

वासन्ती झोंको से 

पिटता-पिटाता मै 

झूले में झूल-झूल 

बड़ा दुलराता हूँ 

हंसता ही जाता हूँ 

करता दुलार !!

आ० भ्रमर जी ,
बहुत सुंदर , बधाई स्वीकरें ,

सादर ,

अश्क

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