For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ के बिना सब कुछ अधूरा |

जो जग में सब को ले आती , जननी महिमा अपरम्पार  |
जग में यदि माँ ही ना होती , चल ना पाता ये संसार |
जलचर थलचर या नभचर हो , माँ सबकी  है पालनहार |
जननी से ही ये दुनिया है , ना  तो सब कुछ है बेकार |
माँ के बिना सब कुछ अधूरा , गोद  में करता शिशु विहार |
जागे सोये दूध पिलाये , हर गम लेने को तैयार |
देख रोते को चुप कराये , खुश करने रहे बेकरार |
आँचल में छुपा कर सुलाती , आ लगे ना कोई बयार |
मैल कहीं रहने ना पाये , बदन साफ़ करती दिन रात |
भीगे में खुद सो जाती है , गिला करे शिशु कोई बात |
उंगली पकड़ चलना सिखाये , खुश होती जब आते दाँत |  
जुदा नहीं करती बच्चे को , हरदम रखती अपने साथ |
माँ कर्ज कोई भर ना सके , हो कोई कितना बलवान  | 
बूढ़ा भी माँ का बेटा है , भले ही  कितना हो महान |
सबकी माँ धरा से बड़ी है , उसकी कदर करता जहान | 
वर्मा माँ की पूजा करना  , सदा खुश रखे हर संतान |
श्याम नारायण वर्मा 

Views: 392

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 8:14pm

आदरणीय श्याम नारायन जी सादर, बहुत सुन्दर रचना है सच है माँ के बारे में जीतना लिखा जाए कम है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

"जननी से ही ये दुनिया है , ना  तो सब कुछ है बेकार |" ना तो  की जगह वरना लिखा जाए तो प्रवाह सुन्दर बन जाएगा. सादर.

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 8:14pm

सबकी माँ धरा से बड़ी है , उसकी कदर करता जहान |  वर्मा माँ की पूजा करना  , सदा खुश रखे हर संतान
बहुत सच्चाई से  बयान किया आपने आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 10:07am

माँ के बारे में जितना लिखा जाए कम है, माँ बिन नहीं मान किसी का 

माँ के प्रति जितनी श्रद्धा रखे कम ही है,  माँ बिन नहीं सार जीवन का 

माँ की महिमा के प्रति बखान करे कम है, माँ बिन नहीं कल्याण किसी का 

माँ की जितनी सेवा की जावे कम है,  माँ बिन नहीं आधार जगत का |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service