For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उद्विग्न चित्त
पहचान है
असिद्ध बुद्धि की।
आता कहाँ उबाल
सिद्ध दल में
बटलोई की।
स्वरूप में ही
स्थिति होना
है स्वस्थ होना।
निज मान,अपमान
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।
-विन्दु
(मौलिक,अप्रकाशित)

Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:49pm
आदरणीय कुशवाहा महोदय आपको मेरा हृदयातल से सादर आभार।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:31pm

चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।

यही वास्तविक ज्ञान है. 

सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर बधाई स्वीकारें, आदरणीया वन्दना जी , सादर 

Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 10:55am
आदरणीय रक्ताले महोदय आपने रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर रचना का महत्व बढाया है।
आपका बहुत आभार
सादर
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 18, 2013 at 8:11am

आदरणीया वन्दना तिवारी जी सादर, सही है आनंद की अनुभूति हमारे अंतर्मन से ही आती है. फिर कहीं ओर खोजने की क्या आवश्यकता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:46am
आदरणीय केवल प्रसाद जी आप की टिप्पणी हमारा उत्साहवर्धन करती है।
सादर आभार।
Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:44am
सन्दीप पटेल जी रचना की सराहना कर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत आभार।
Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:41am
आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने रचना का अवलोकन किया इसके लिए आपका सादर धन्यवाद।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 6:26pm

आदरणीया वंदना तिवारी जी,
'चिरानन्द है
’स्वयं’ में
बस है पहचानना।’ अतिसुन्दर रचना । बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 17, 2013 at 5:16pm
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।

बहुत सुन्दर बात बताई आपने इस रचना के माध्यम से आदरणीया सादर बधाई स्वीकारें
Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:11pm

निज मान,अपमान
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।////////आदरणीया वन्दना जी सही कहा आपने सुन्दर कथ्य  !हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service