वर्तमान दौर में युवा कार्पोरेट जगत में भविष्य तलाश रहे है और कृषि प्रधान देश में खेती किसानी को दोयम दर्जे का कार्य समझा जा रहा है, वहीं एक युवा किसान ऐसा भी है, जिसने तमाम डिग्रियां हासिल करने के बाद भी कृषि कार्य को अपना जाॅब बनाकर पिछले 8 वर्षो से नई पद्धति से खेती करते हुए नई मिसाल पेश की है। इस युवा किसान ने इस वर्ष धान की फसल में हिन्दुस्तान व छत्तीसगढ़ का नक्शा उकेरा है, जिसे देखने के बाद लोग उनकी तारीफों के पुलिंदे बांधते नहीं थक रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में यह अनोखा कारनामा जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर ग्राम मेहंदा के युवा किसान संदीप तिवारी ने कर दिखाया है। प्रारंभ से ही खेती किसानी में रूचि रखने वाले संदीप ने बीकाॅम, एलएलबी व एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी कृषि के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाने की ठान ली। पढ़ाई के दौरान वे कृषि कार्य की बारीकियांे को अपने पिता सुरेशचंद्र तिवारी से सीखने लगे। यही नहीं वे जब भी अपने नाना राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के यहां ग्राम कुम्हारी जाते थे, वहां खेती किसानी के विषय में चर्चा कर आवश्यक जानकारी जुटाते थे। इस कार्य में उनके मामा सुनील शुक्ला और अजय शुक्ला ने भी पूरा सहयोग किया। कृषि जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए संदीप ने 8 वर्ष पूर्व किसानी के क्षेत्र में पहली बार अपना कदम रखा। उस वक्त संदीप के लिए खेती-किसानी का काम काफी परेशानी भरा रहा, बावजूद इसके खुद के आत्मविश्वास और परिजनों के हौसले से धान बोआई कराकर संदीप ने अच्छी फसल अर्जित की। इसके बाद वे हर साल कुछ नया करते रहे। दो वर्ष पूर्व उन्होंने बीज विकास निगम से हाइब्रिड बीज खरीदकर खेती की, जिसमें भारी सफलता मिली। इससे संदीप के हौसले और बुलंद होने लगे तथा खेती किसानी के काम में वे पारंगत हो गए। नतीजतन गांव व आसपास के कई किसान उससे खेती किसानी की सलाह लेने लगे। इस वर्ष धान बोआई से पहले ही इस क्षेत्र में कुछ नयापन लाने की बात उनके मन में सूझी और उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए संदीप ने गांव के जगदीश साहू, भारत यादव तथा दुकालू यादव का सहयोग लिया। 3 से 4 दिन तक खासी मेहनत कर संदीप ने अपने साथियों के साथ रोपाई पद्धति से धान लगाकर दो खेतों में भारत व छत्तीसगढ़ का नक्शा उकेरा। 80 डिसमिल के एक खेत में संदीप ने धान के पौधे को छत्तीसगढ़ के नक्शे के आकार में रोपाई की। साथ ही इसमें जय जवान, जय छत्तीसगढ़ का स्लोगन भी लिखा। नक्शा तैयार करने के लिए उन्होंने काले रंगों वाली बारीक प्रजाति की श्यामला तथा स्लोगन के लिए सुवर्णा धान के पौधों की रोपाई की। इसी तरह एक एकड़ भूमि पर लगी फसल में भारत का नक्शा उकेरने के लिए मुख्य फसल सुवर्णा का लिया। साथ ही जय भारत स्लोगन बनाने के लिए श्यामला धान के पौधे लगाए हैं। संदीप के दोनों खेतों में छत्तीसगढ़ व भारत का नक्शा तथा स्लोगन स्पष्ट नजर आ रहे हैं, जिसे वहां से होकर गुजरने वाले लोग देखकर इस कलाकार के इस प्रयोग की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। युवा कृषक संदीप तिवारी ने बताया कि नई विधि से खेती करने के लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र जांजगीर के वैज्ञानिक मनीष व उद्यानिकी विभाग के श्री रोहिदास से सहयोग लिया। वे हर साल कुछ नया करना चाहते हैं। श्री तिवारी ने बताया कि खेत में नक्शा उकेरने के कारण उन्हें धान कटाई में थोड़ी बहुत परेशानी जरूर होगी, लेकिन इस बात पर उन्हें प्रसन्नता है कि उनके इस प्रयोग को देखने के बाद लोगों के मन में कृषि के क्षेत्र को अपनाने की ललक पैदा हो रही है। छोटे से गांव का यह युवा किसान निश्चित ही आने वाले दिनों में कृषि जगत से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणादायी साबित होगा।
अगली बार पावर प्लाॅट का नक्शा
युवा कृषक संदीप का मानना है कि आज हर कोई खेती किसानी से अपना दामन छुड़ाने लगा हुआ है। इस वजह से खेती में गिरावट आ रही है। प्रदेश को पावर हब बनाने के लिए हर जिलों की तरह जांजगीर व आसपास के क्षेत्र में पावर प्लाॅट स्थापित करने तीन दर्जन से ज्यादा एमओयू हो चुके हैं। क्षेत्र में भारी संख्या में पावर प्लाॅट लगने से वह दिन दूर नहीं जब धरती पुत्रों को अपनी जन्मभूमि को छोड़कर पलायन करने के लिए विवश होना पड़ेगा। औद्योगिकीकरण से होने वाली हानि पर फोकस डालने के लिए संदीप अगली बार खेत में धान की फसल से पावर प्लाॅट व उससे निकलने वाले धुएं को उकरने की बात कह रहे हैं, ताकि उसे देखकर हर किसान व नई पीढ़ी प्रेरणा ले। साथ ही सरकार को किसानों का दर्द महसूस हो सके।
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