For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदा चैन की बंशी बजती , जब घर में खुशहाली हो |

घरनी -कविता |
सदा चैन की बंशी बजती , जब घर में खुशहाली हो | 
जंगल में मंगल हो जाता , साथ अगर घरवाली हो |
एक म्यान में दो तलवारें , चैन कहाँ मिल पायेगा |
यदि यार का दखल हो घर में , बसा घर उजड़ जाएगा | 
जब दो फूल एक भौंरा हो , कहाँ मजा है जीवन में |
दो बुलबुल बस एक फूल हो , कैसा लगता  उपवन में | 
ख़ुशी का नजारा कब रहता , दो शेर सदा लड़ते हैं | 
काट मार घायल हो जाते , गिरे  तड़पते रहते हैं |
घरनी है सारे जीवन की , ऐसा अटूट नाता है |
कच्चे धागे का बंधन है , साथ  सुखमय बनाता है |
बिना घरनी का कौन खुश है , सुख जो साथ निभाता है | 
जीता तो  है  चर  जंगल में , जो पाया वो खाता है | 
खुशी ख़ुशी साथी  हो हरदम , ऐसी घरनी प्यारी हो | 
सुख दुःख में सदा साथ रहे , हर अदा से न्यारी हो |
जीवन रहे सदा हरा भरा , पूजा के अधिकारी हो |
वर्मा खिला ही रहे उपवन , घरनी साथ हमारी हो |
श्याम नारायण वर्मा 

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 11:01am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी! सादर प्रणाम
बहुत ही सुंदर रचना हुई है सादर बधाई स्वीकरें
कहीं कहीं प्रवाह बाधित है उसके लिए मैं विनय भाई साहब से सहमत हूँ
सादर

Comment by coontee mukerji on April 10, 2013 at 11:22pm

वर्मा जी , आपकी कविता में जुते भीगोकर मारने वाली बात हुई है. कहीं कहीं तीखे व्यंग के साथ ही साथ कवि ह्रदय की आंतरिक पीड़ा

भी झलक रही है.धन्यवाद.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2013 at 3:00pm

सुन्दर भाव अभ्व्यक्ति के लिए बधाई श्री श्याम नरेन वर्मा जी 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 10, 2013 at 1:51pm
श्याम नारायण वर्मा जी! आपने बहुत ही सुन्दर भावभूमि पर अपनी लेखनी चलायी है, जिसके लिये आपको बधाई।लेकिन आदरणीय केवल तुकबंदी कविता नहीं होती, तुकान्तक कविता में भी कम से कम प्रति चरण मात्राओ का तो ध्यान रखना ही चाहिये।
बात अन्यथा नहीं लेंगे।
सादर।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 10, 2013 at 1:49pm
श्याम नारायण वर्मा जी! आपने बहुत ही सुन्दर भावभूमि पर अपनी लेखनी चलायी है, जिसके लिये आपको बधाई।लेकिन आदरणीय केवल तुकबंदी कविता नहीं होती, यदि तुकान्तक कविता में भी कम से कम प्रति चरण मात्राओ का तो ध्यान रखना ही चाहिये।
बात अन्यथा नहीं लेंगे।
सादर।
Comment by वेदिका on April 10, 2013 at 1:37pm

प्रेम त्रिकोण को दर्शाती हुयी ......अंतर्मन मन को उद्देलित करती हुयी ....प्रेम देकर प्रेम की चाहना करती हुयी रचना ....
शुभकामनायें आदरणीय श्याम जी!
सादर गीतिका 'वेदिका'

Comment by ram shiromani pathak on April 10, 2013 at 12:09pm

बहुत सुन्दर बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service