For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा

एक, नन्हा सा दिया,
बस ठान बैठा, मन में हठ
अंधियार, मैं रहने न दूं,
मैं ही अकेला, लूं निपट

मन में सुदृढ़ संकल्प ले
जलने लगा वो अनवरत,
संत्रास के झोकों ने घेरा
जान दुर्वल, लघु, विनत

दूसरा आकर जुड़ा,
देख उसको थका हारा
धन्य समझूं, मैं स्वयं को
जल मरूं, पर दूं सहारा

इस तरह जुड़ते गए,
और श्रृंखला बनती गयी
निष्काम,परहित काम आयें
भावना पलती गयी

एक होता यदि अकेला,
अभितप्त होकर टूट जाता
मिल बनें, अविजेय दल
सघन तम भी मात खाता

पंक्ति का प्रत्येक मानिक,
नए युग की नयी शक्ति
निश्वार्थ सेवा में समर्पित
मन संजोये, त्याग, भक्ति

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा,
इक दूसरे को सहारा दिए
ज्योतिमय हो जगत और फैले खुशी
शुभकामनाएं, ह्रदय में लिए

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DEEP ZIRVI on December 22, 2010 at 8:24pm

BESHKK

मिल बनें, अविजेय दल
सघन तम भी मात खाता

Comment by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 2:28pm

ek nanhe se diye ke dwaara aapne bahut hi badi baat kah di ..waah!

Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 3:45pm
bahut acchi rachna..waah
Comment by Abhinav Arun on December 6, 2010 at 1:39pm
'इस तरह जुड़ते गए,
और श्रृंखला बनती गयी
निष्काम,परहित काम आयें
भावना पलती गयी'

श्रीप्रकाश जी शब्दों का सुन्दर कारवाँ ,अभिभूत करती कविता बधाई |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 21, 2010 at 5:40pm
एक, नन्हा सा दिया,
बस ठान बैठा, मन में हठ
अंधियार, मैं रहने न दूं,
मैं ही अकेला, लूं निपट,

बेहद सटीक काव्य कृति, छोटा भी यदि कोई हो और कुछ अच्छा कार्य करने का दृढ निश्चय कर लेता है तो वह कर ही लेता है, एक सन्देश भी छुपा है इस कविता मे, बधाई श्रीमान, आगे भी आपकी रचनाओं का इन्तजार रहेगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
12 hours ago
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
yesterday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service