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ये आनन्द चीज क्या कैसा??

ये आनन्द चीज क्या कैसा??

 

ये आनन्द चीज क्या कैसा क्या इसकी परिभाषा

भाये इसको कौन कहाँ पर कौन इसे है पाता

उलझन बेसब्री में मानव जो सुकून कुछ पाए

शान्ति अगर वो पा ले पल भर जी आनंद समाये

सूनी कोख  मरुस्थल सी माँ पल-पल घुट-घुट जो मरती

शिशु का रोना हंसना उर भर क्रीड़ानंद वो करती

रंक  कहीं भूखा व्याकुल जो क्षुधा पिपासा जाए

देता जो प्रभु सम  वो लागे जी आनंद समाये

पैमाना धन का है अद्भुत क्या कुछ किसे बनाये

कहीं अभागन बेटी जन्मे कुछ लक्ष्मी कहलायें

प्रीति  प्रेम सम्मान अगर जीवन भर बेटी पाए

हो आनंद संग बेटी के मात -पिता हरषाए

गोरा वर गोरी को खोजे काला  कोई गोरी

गुणी छोड़ कुछ वर्ण रंग धन बड़े यहाँ हत  भोगी

प्रेम कहीं कुछ शीर्ष चढ़े तो नीच ऊँच  ना रंग

हो आनंद जमाना दुश्मन अजब गजब दुनिया का रंग

कहीं नशे में ऐंठ रहे कुछ नशा अगर पा जाएँ

धन्य स्वर्ग में उड़ते फिरते जी आनंद समाये

मै  मकरंद मधू आनंद कवि -कविता में पाए

लोभी मोही  धन में डूबे धन आनंद में मरते

वहीं ऋषी मुनि दान दिए सब मोक्षानंद में फिरते

मेरा तेरा इनका उनका अलग -अलग आनंद

जो आनंद मिले तो पूछूं उसकी क्या है पसन्द

सबका है आनंद अलग तो इसका भी कुछ होगा

गुण-प्रतिभा ये दया स्नेह या आनंद धन में  होगा

 

भ्रमर 5 , 22.03.2013

2.15-3.20 मध्याह्न शाहजहांपुर-बरेली लौहपथगामिनी में

 

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Comment by coontee mukerji on April 9, 2013 at 10:11am

शुक्ला जी ,आनंद के साथ मन की वेदना भी झलकती है .इंसान तो वहीं जो दुसरे की पीड़ा समझे.बहुत सुंदर .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 10:06am

आदरणीय शुक्ला ’भ्रमर’ जी, आनन्द नन्द तू घनानन्द चहुं ओर वृन्द सुख राशि भरा...तुम अतुलित ज्ञान प्रकाश घनानन्द न यहि के बिन आनन्द जरा।। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर,

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