For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : झपकती पलक और लगती दुआ है

वज्न : १२२ , १२२ , १२२ , १२२ 
बहर : मुतकारिब मुसम्मन सालिम

झपकती पलक और लगती दुआ है,

अगर मांगने में तू सच्चा हुआ है,

जखम हो रहे दिन ब दिन और गहरे,

नयन की कटारी ने दिल को छुआ है,

नहीं बच सकेगा जतन लाख कर ले,

नसीबा ने खेला सदा ही जुआ है,

न बरसात ठहरी न मैं रात सोया,

कि रह रह के छप्पर सुबह तक चुआ है,

सुखों का गरीबों के घर ना ठिकाना,

दुखों ने मुफत में भरी बद - दुआ है .....

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 8:28pm

वाह के साथ आह भी निकाल दी आपने अरून भाई। बहुत सुन्दर। बधाई स्वीकारें।

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 3:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव श्री आपकी टिप्पणियां सकारात्मक उर्जा की श्रोत हैं, प्रयास को और अच्छा करने हेतु उत्साहित करती हैं, स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखें सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2013 at 2:57pm

भुजंगप्रयात छंद के समकक्ष इस बह्र पर आपकी कोशिश बेहतर हुई है, अरुन भाई. 

मतले में जिस आश्वस्ति और विश्वास का मुज़ाहिरा हुआ है वह कहन को और सुगढ़ कर रहा है.

अधो उद्धृत दोनों शेर निजी तौर पर मुझे अच्छे लगे. क्योंकि दोनों की सानी ने चौंकाया है.

जखम हो रहे दिन ब दिन और गहरे,
नयन की कटारी ने दिल को छुआ है, .. . . . सानी में मैं दार्शनिक कथ्य की अपेक्षा कर रहा था. हा हा हा... . 

जखम के सही स्वरूप को तो आप जानते ही होंगे. लेकिन प्रयुक्त विशिष्ट ’कटारी’ से तो ’जखम’ ही बना होगा जो मुसलसल गहराता हुआ जा रहा है.  अच्छा लगा आपको ’जखमी’ देखना.. .   :-))

न बरसात ठहरी न मैं रात सोया,
कि रह रह के छप्पर सुबह तक चुआ है,.. .  ठीक उलट यहाँ उला के व्यवहार से मन मुलायम हुआ जा रहा था.  .. :-)))

एक सधे हुए प्रयास पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार करें, भाई अरुनजी.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 1:37pm

भाई विजय मिश्र साहब ग़ज़ल आपको पसंद आई इस हेतु हार्दिक आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखें. सादर

Comment by विजय मिश्र on April 1, 2013 at 1:12pm
तारीफ के काबिल और मौजू तो सूफियाना है , अच्छी ग़ज़ल दी अरुनजी , बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"जिसको देखो वही अदावत मेंकौन खुश है भला सियासत में।१।*घिस गयी जूतियाँ थमीं साँसेंकेस जिसका गया…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
5 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
11 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service