For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

       

                      प्राण-पल

 

पेड़ से छूटे पत्ते-सा समय की आँधी में उड़ा

मैं हल्के-से तुम्हारे सामने था आ गिरा,

तुमने मुझे उठाया, देखा, परखा, मुझको सोचा,

जाने क्यूँ मुझको लगा

कि वह पल मेरी बाकी ज़िन्दगी से अलग

मेरा ज़्यादा अपना था, अधिक प्रिय था,

और बिना सोचे समझे मैं ख़यालों में डूबा

मोती-से उस पल को हथेली में रख कर

देखता रहा, देखता रहा, देर तक सोचता रहा

कि तुम्हारी ज़िन्दगी का वह समानान्तर पल भी

जिसको तुमने उस समय

अपने आँचल के कोने से बाँध कर, सम्हाल कर,

मुझको इतना सम्मान दिया था,  वह पल

अभी भी तुम्हारे आँचल के छोर से बंधा था क्या?

या, पेड़ से छूटे सूखे पत्ते-सा  अब उसको तुमने

अलगावों की तिमिर भरी आँधी में उड़ा दिया था,

क्योंकि अब कुछ अरसे से मुझको

तुम्हारे उस पल की समकालिक धड़कन

मेरी हथेली में संजोए इस प्राण-पल के संग

टिक-टिक करती सुनाई नहीं देती।

                  

                   -------

                                         -- विजय निकोर

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 24, 2014 at 7:29am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई योगराज जी। आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 15, 2014 at 1:21pm

दिल में उमड़ते विचारों को सुंदरता से शब्द दिए हैं, वाह.

Comment by vijay nikore on April 2, 2013 at 7:21am

अरुन शर्मा जी:

 

//ह्रदय में विद्यमान भावों को बहुत ही सरलता एवं सुन्दरता से उकेरा है//

मनोबल देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on April 2, 2013 at 7:12am

प्राची जी,

 

//हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति//

 

उद्गारों के अनुमोदन के लिए और प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।

 

सादर,

विजय

Comment by vijay nikore on April 1, 2013 at 6:04am

आदरणीया ‘राज’ जी,

 

//मन के कोमल भावों को बहुत सुंदर शब्दों से बांधा है आपकी रचनाएँ पाठक को खींचती हैं//

यह कह कर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया है ... आपका अतिशय आभार ‘राज जी’।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 10:09pm

आदरणीया कुंती जी:


//कोमल भावनाओं के वर्णन करने में आपका कोई सानी नहीं.आप यूँही लिखते रहें //

यह कह कर आपने मुझको जो मान दिया है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।


सरल ह्रद्य है, दुनियादारी नहीं आती ...रिश्तों से शीघ्र छलनी हो जाता है,

भावनाएँ उमड़-उमड़ आती हैँ ... कविता बन जाती हैं।


आपसे प्रोत्साहन मिलता रहे... आशा है कि ईश्वर-कृपा इस लेखनी से लिखती रहेगी।

 

शरदिंदु जी की इ-मेल मिली ... सराहना के लिए उनको भी मेरा आभार।


सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 6:24pm

आदरणीया सावित्री जी:

 

मन के सुकोमल भावों को वही महसूस कर सकता है

जिसने सुकोमल भावों को पढ़ा ही नहीं, अपितु जिया है।

इन भावों की सराहना के लिए आपका आभार।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 4:44pm

आदरणीय लक्ष्मण जी:

 

//सुंदर अहसास का आपका वह पल वाकई प्राण पल से कम नहीं हो सकता//

 

आपने बिलकुल सही कहा है। ज़िन्दगी के वह चुने हुए पल मन में अलग से अपना

एक घर बना लेते हैं, और सदैव साँसों के समान साथ रहते हैं।

 

कविता की भावनाओं को मान देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 4:34pm

 

आदरणीय राम जी:

कविता की सराहना के लिए आभारी हूँ।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 31, 2013 at 4:20pm

हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति आदरणीय विजय निकोर जी 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service