बात एक साल पुरानी है। सदी के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म पा दिसंबर 2009 में रिलीज हुई थी, जिसमें उन्होंने आॅरो के किरदार को निभाया है। इस फिल्म की दर्षकों में खासी चर्चा रही और पहली बार इस फिल्म के माध्यम से ऐसी अजीबो-गरीब बीमारी प्रोजेरिया, लोगों के सामने आया, जिसे जानकर हर कोई सोच में पड़ गया, क्योंकि डाॅक्टरों की मानें तो यह बीमारी, एक करोड़ में एक व्यक्ति को होती है। पा फिल्म में प्रोजेरिया बीमारी को दुनिया के सामने लाया गया है और इस फिल्म मे अभिनेता अभिताभ बच्चन ने 13 वर्षीय एक ऐसे बालक का किरदार निभाया है, जिसे प्रोजेरिया बीमारी रहती है और वह बचपन में ही बूढ़ा दिखाई देता है। पहले इस बीमारी के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी थी, लेकिन पा फिल्म की चर्चा के बाद मीडिया भी भला कहां दूर रहने वाला था। अमिताभ बच्चन के पा फिल्म में अभिनय किए जाने से इसे और प्रसिद्धि मिली। तभी तो कल तक जिसे महज एक बीमारी समझ कर, कोई भी मीडिया खबर बनाना नहीं चाहता था, उस फिल्म की चर्चा में आने के बाद इस पर खबर बनाने मीडिया मंे होड़ मची रही। यह केवल टीआरपी बढ़ाने का चक्कर है और ऐसे में एक बार फिर मीडिया का पाखंड चेहरा उजागर हुआ है।
पिछले बरस अमिताभ बच्चन अभिनीत पा फिल्म की जैसे ही चर्चा षुरू हुई तो मीडिया की नजर में प्रोजेरिया बीमारी से पीड़ित छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के छोटे से गांव भिलौनी का कुलजीत आ गया। इस बीच डेढ़ दर्जन से अधिक मीडिया के कर्ता-धर्ता पहुंचे और फिर मची टीआरपी की होड़। उस दौरान पखवाड़े भर में ऐसा कोई दिन नहीं गया, जिस दिन कोई चैनल के लोग रिपोर्टिंग के लिए नहीं पहुंचे हांे। यह बात तो सही है कि जब कोई महत्वपूर्ण खबर मीडिया पर आती है तो हर मीडिया उसका हिस्सा बनता चाहता है, लेकिन टीआरपी के चक्कर में मीडिया का पाखंड चेहरा उजागर हो तो उसे क्या कहा जा सकता है।
कुलजीत लंबे अरसे से एक अजीबो-गरीब बीमारी से ग्रसित है, इन वर्षों तक उसकी खबर या उस परिवार की बेबषी की खबर किसी चैनल ने दिखाने की सुध नहीं ली, लेकिन जब यह महानायक अमिताभ बच्चन की अभिनीत फिल्म पा से जुड़ा नजर आया तो सभी ने कुलजीत के घर की ओर रूख कर लिया। हद तो तब हो गई, जब अपनी टीआरपी या फिर दर्षकों को उसका एटीट्यूड दिखाने के चक्कर में उससे करतब जैसे कार्य कराया गए। खबर बनाने के लिए मीडिया के लोगों को यह ख्याल नहीं रहा, जिस बालक पर वे खबर बनाना चाह रहे हैं और वह गंभीर बीमारी से ग्रसित है और एकदम कमजोर है। इन सब बातों को दरकिनार कर, प्रोजेरिया से पीड़ित बालक कुलजीत को कभी कोई मीडिया के नुमाइंदे नचा रहा है तो कोई दौड़ा रहा है। उससे ऐसा कराया गया, जो उसका रोज की दिनचर्या में सामिल नहीं था। एक चैनल से पहुंचे लोगों ने केवल खबर बनाने के लिए ही कुलजीत की पसंद का ख्याल रखा और वह जो पसंद करता था, उसे लाने के लिए गांव के एक व्यक्ति को पचास रूपये दिए और खबर बनाने को लेकर उंचे लोगों से सहयोग दिलाने का हवाला दिया। यह कोई एक दिन की बात नहीं है, हर दिन पहुंचने वाले मीडिया के लोग केवल खबर बनाने तक कुलजीत के परिवार की खोज खबर ले रहा है। उसके बाद तो उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। खबर बनाने पहुंचे कई चैनल वालों ने आर्थिक मदद दिलाने की बात कुलजीत के परिवार को कही, लेकिन जैसे लौटे, अब इस बारे में सोचने वाला कोई नहीं है।
यहां सवाल यही है कि क्या किसी मीडिया वाले की इतनी ही भूमिका है कि वे खबर बनाने के लिए एक गरीब परिवार को सब्जबाग दिखाए और वहां से खबर बनाने के बाद इस बात को भूल जाए। ऐसा ही कुछ हुआ, भिलौनी के कुलजीत के परिवार वालों के साथ। अमिताभ बच्चन की फिल्म पा की चर्चा होने के बाद कुलजीत के परिवार वाले भी मीडिया के सुर्खियां बने रहे, लेकिन मीडिया वाले जिस तरह उनकी खोज खबर लेने पहुंचे थे, वह उनके जाने के बाद से ही गांव के रास्तों पर कहीं ठहर गया है। मीडिया में काम करने वाले लोगों का काम खबर बनाना है, लेकिन किसी को खबर बनाने के नाम पर झूठी सब्जबाग दिखाए जाने को किसी भी सूरत में मीडिया जगत के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। एक परिवार वैसे ही गरीबी के बाद अपने चहेते का इलाज कराने में हर वो जुगत बनाने की कोषिष कर रहा है, जो उसके बस में है, लेकिन मीडिया द्वारा केवल टीआरपी और खबर के नाम पर जो पाखंड चेहरा दिखाया गया, उसे स्वच्छ पत्रकारिता की नींव मजबूत नहीं हो सकती। एक मीडिया के लोगों द्वारा यहां तक कहा गया कि कुलजीत को वे महानायक अभिताभ बच्चन से मिलाएंगे, अंतिम स्थिति में उन लोगों की बात फोन से जरूर करा दी जाएगी, लेकिन आज कुलजीत और उसके परिवार के लोगों के हालात तो वैसे ही हैं और कुलजीत तथा उसका परिवार बीमारी की लड़ाई में लगे हैं, लेकिन उन मीडिया के लोगों का वादा अब तक पूरा नहीं हो सका है। कुलजीत और उसके परिवार वालों के मन में अब भी अमिताभ बच्चन से मिलने की चाहत बाकी है, लेकिन सवाल यही है कि आखिर पहल करे तो करे कौन ? अभी हाल ही में कुलजीत के परिवार वालों ने 10 नवंबर को उसका जन्मदिन मनाया, इस दौरान भी उनकी आंखों में अमिताभ बच्चन से मिल पाने का सपना दिखाई दिया। उनकी आंखों की पलकें उन्हें आज भी निहार रही हैं।
कुलजीत के भाई सुजीत का कहना है कि खबर के नाम पर डेढ़ दर्जन से अधिक मीडिया वाले उनके घर पहुंचे और कईयों ने उन्हें प्रषासन र्से आिर्थक मदद दिलाने में सहयोग दिलाने की बात कही, लेकिन एक-दो को छोड़कर किसी ने दोबारा संपर्क करने की कोषिष नहीं की।
यहां बताना लाजिमी है कि पाॅ फिल्म मंे जिस प्रोजेरिया बीमारी को रेखांकित किया गया है, इसी बीमारी से छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम भिलौनी (पामगढ़) के कुलजीत भी पीड़ित है। श्री दिलीप बंजारे का 12 साल का पुत्र कुलजीत बचपन से बीमारी से पीड़ित है, लेकिन डाॅक्टरों ने 2005 में प्रोजेरिया बीमारी होने की पुष्टि की। गरीबी होने के बाद भी कुलजीत का इलाज उसके परिजन कराते आ रहे हैं। डाॅक्टरों ने प्रोजेरिया से पीड़ित की अधिकतम उम्र 20 साल बताया है। बावजूद परिजन उसके इलाज के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से भी गुहार लगाई है। तीसरी में पढ़ने वाला कुलजीत का जुड़वा बहन भी है, उसका नाम बिंदिया है और वह छठवीं में पढ़ रही है। कुलजीत बीमारी से ग्रस्त है, जबकि ंिबंदिया स्वस्थ है। कुलजीत का प्रोजेरिया बीमारी के चलते सारीरिक विकास रूक गया है और वह महज 7 किलो का है और उसकी उंचाई ढाई फीट है। उसके दांत टूट गए हैं तो सिर व सरीर पर बाल नहीं है। कान बड़े हैं तो नाक लंबी है। गाल पिचके हुए हैं और चेहरे पर झुर्रियां छाई हैं। नसें तनी हुई हैं, जैसे वह बूढ़ा हो गया हो। प्रोजेरिया बीमारी से व्यक्ति बचपन में ही बूढ़ा हो जाता है। कुलजीत का वजन में कमी होती जा रही है। इस परिवार को आर्थिक मदद की जरूरत है, लेकिन फिलहाल कोई हाथ का सहारा इन्हें नहीं मिल सका है।
राजकुमार साहू,
छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के पत्रकार हैं
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