For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये बहारें ये फिजा सौगात तेरी आ गयी है

चांद ने घूंघट उतारा बात तेरी आ गयी है

 

याद आई, तू न आया, क्या गिला करना किसी से

रात भर आंसू बहाएं बात तेरी आ गयी है

 

इन घटाओं ने न जाने कौन सा जादू किया जो

शाम ढलती ही रही इस्बात तेरी आ गयी है

 

अब सहारा ढूंढते हैं तू नहीं जो साथ मेरे

तू कहीं होता यहीं क्यूं बात तेरी आ गयी है

 

रात की तन्हाइयां भी सालती हैं अब मुझे यूं

बात कुछ होती नहीं पर बात तेरी आ गयी है

                                       - बृजेश नीरज

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:33pm

वंदना जी आपकी सराहना योग्य गज़ल लिख पाया हूं तो यह ओ बी ओ की देन है और आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी की डांट का असर है।

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 9:25pm
आदरणीय सर जी...
भावनाओं को इतने लयबद्ध और सुन्दर ढंग से सजाने के लिए आपको बधाई।
Comment by बृजेश नीरज on March 12, 2013 at 7:46pm

आदरणीय राजेश जी तथा राम शिरोमणि जी, आपका आभार!

Comment by राजेश 'मृदु' on March 12, 2013 at 5:32pm

सुंदर प्रस्‍तुति ।

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 11:12am

आदरणीय बृजेश जी:

 

रात की तन्हाइयां भी सालती हैं अब मुझे यूं

बात कुछ होती नहीं पर बात तेरी आ गयी है!

वाह !!!
बहुत खूब 
अच्छी ग़ज़ल हुई है

Comment by बृजेश नीरज on March 12, 2013 at 5:42am

आदरणीय निकोर जी,
आपका आभार! यहां आप लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। दोहा, चैपाई और अब गजल। आप सबका मार्गदर्शन यूं ही प्राप्त होता रहे इस प्रार्थना के साथ।
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on March 12, 2013 at 5:37am

आदरणीय वीनस जी,
यह गजल आपकी कक्षा से ही सम्भव हुई। आपका आभार!
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on March 12, 2013 at 5:35am

आदरणीय सौरभ जी,
आपका आभार! यह आपके मार्गदर्शन से ही सम्भव हो सका। बहुत बहुत धन्यवाद!
सादर!

Comment by vijay nikore on March 12, 2013 at 4:25am

आदरणीय बृजेश जी:

 

अब सहारा ढूंढते हैं तू नहीं जो साथ मेरे

तू कहीं होता यहीं क्यूं बात तेरी आ गयी है

 

वाह, वाह, वाह!

बधाई।

 

विजय निकोर

Comment by वीनस केसरी on March 12, 2013 at 2:05am

वाह !!!
बहुत खूब
अच्छी ग़ज़ल हुई है

मतला और आख़री शेअर के लिए ढेरो ढेर दाद क़ुबूल फरमाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service