मौलिक / अप्रकाशित
बड़ा बटोरा आज तक, लोलुपता ने माल |
बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल |
शादीघर बदहाल, सुता चैतन्य आज है ।
बढ़ा चढ़ा विश्वास, स्वयं पर उसे नाज है ।
रविकर चाल सुधार, नहीं तो क्वांरा छोरा ।
नहीं सकेगा भोग, माल जो बड़ा बटोरा ॥
Comment
रचना के लिए बधाई!.....
आभार आदरणीय अग्रज -
सामाजिक बुराई और उसे सुधारने का युवाओ का जज्बा हो यह आवश्यक है रविकर जी - आपकी झटपट गढ़ी रचनाए दिनप्रति दिन नखर कर आ रही है, हार्दिक बधाई -
झट प्रसाद देने लगे, चट मँगनी पट ब्याह
समझ संकेत आज के, वर्ना फिर पछाताह| - लक्ष्मण
आदरणीय आप का हमेशा स्वागत है-
मैं स्वयं भी सचेत रहा करूंगा इस उत्कृष्ट प्लेटफोर्म पर -
सादर-
आपका आभार रविकर जी!
अभी सीखने की प्रक्रिया में हूं। क्षमा इसलिए कि असावधानी बरतते हुए मैंने यह टिप्पणी कर दी। इस प्रक्रिया से एक लाभ मुझे हुआ कि यह बात अब नहीं भूलूंगा।
असमंजस में पड़ गया था मैं तो-
आभार आदरणीय सौरभ जी-
बहुत बहुत आभार आदरणीय बृजेश जी -
आप निश्चिन्त होकर यहाँ इंगित कर सकते हैं-
हमेशा स्वागत है मान्यवर-
क्षमा मांग कर शर्मिन्दा न करें मान्यवर ||
मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी! मुझे अपनी त्रुटि का एहसास हो गया। ‘क्वांरा’ में मात्रा गणना में मैंने गलती की। रविकर जी से क्षमा चाहूंगा।
उनकी रचना के लिए उन्हें बधाई!
भाई बृजेश जी,
न(१)हीं(२) तो(२) क्वां(२)रा(२) छो(२)रा(२) = कुल योग १३
उक्त चरण की मात्रा नियमानुसार है.. .
बहुत अच्छा लगा आप इतने आग्रही हो रहे हैं और जानने की इतनी लगन लगी है. अति उत्तम भाईजी.
शुभेच्छाएँ
बखूबी चेताती हुई पंक्तियों के लिए आदरणीय रविकरजी, सादर बधाइयाँ .. .
आज की प्रखर सुताओं की चेतनता ही समाज में मनस-परिवर्तन का कारण है.
वैसे बार-बार स्वयं को बिकने को प्रस्तुत करने और तुलवाने के बाद भी छोरा ’कुआँरा’ ही कहालाता है !.. हा हा हा हा.. बहुत मारक तंज है हुज़ूर.. बधाई-बधाई-बधाई.. .
नहीं तो क्वांरा छोरा
आदरणीय रविकर जी, मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहां मात्रा अधिक हैं।
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