For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभिचार सा

करता

छिड़कता जल

चला था,

शून्‍य पथ

धर अफीमी

रूप कोई

रात थी

बेहद सुरत

कुछ धुरंधर

मेघ भी तो

कर गए

नि:शब्‍द ही

गलफड़े भर

श्‍वांस भरके

थे खड़े

कुछ दर्द भी

ढह ना पाई

रोशनी पर

ना हुई

पथ से विपथ

करबले की

ओर बढ़ते

पांवों में थी

जो शपथ

Views: 455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on March 2, 2013 at 11:38am

मेघ भी तो

कर गए

नि:शब्‍द ही

गलफड़े भर

श्‍वांस भरके

थे खड़े

कुछ दर्द भी

ढह ना पाई

रोशनी पर

ना हुई

पथ से विपथ

करबले की

ओर बढ़ते

पांवों में थी

जो शप

bahut sundar shabd jha ji

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 10:43pm

वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है सुन्दर,,,,,,,,,,,बधाई,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2013 at 10:12pm

धर अफीमी

रूप कोई

रात थी

बेहद सुरत

कुछ धुरंधर

मेघ भी तो

कर गए

नि:शब्‍द ही

गलफड़े भर

श्‍वांस भरके

थे खड़े

कुछ दर्द भी---बहुत सुंदर सजीव चित्र सा खींच दिया आंखों के समक्ष सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई| 

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:42pm

यह तो अच्छी लयबद्ध रचना है आदरणीय-
सुन्दर भाव-
आभार

Comment by Meena Pathak on March 1, 2013 at 2:05pm

बहुत उम्दा ... बधाई राजेश जी 

Comment by राजेश 'मृदु' on March 1, 2013 at 11:10am

हार्दिक आभार डॉ0 खरे साहब, राम शिरोमणि जी एवं आदरणीय पवन अंबा जी

Comment by Dr.Ajay Khare on March 1, 2013 at 11:03am

sunder rachna badhai

Comment by ram shiromani pathak on February 28, 2013 at 7:22pm

अभिचार सा

करता

छिड़कता जल

चला था,

शून्‍य पथ

धर अफीमी

रूप कोई

रात थी!!!!!!!

kyaa baat hai bhai ji .........bahot badiya

Comment by pawan amba on February 28, 2013 at 6:27pm

पथ से विपथ

करबले की

ओर बढ़ते

पांवों में थी

जो शपथ....sundar abhivaykti....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service