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सुना था ........

सुना था ........


सुना था..दिल से करो याद जिसे,उसको हिचकियाँ आती है
यही सोच रोज हाल पूछने ,उसके घर चला जाता हूँ मै.....

सुना था..टूटे दिल से लिखी ग़ज़लों में बहुत जान होती है
शायर ही बनू,इसी ख्याल से सबसे इश्क लडाता हूँ मै....

सुना था..चने खाने से शरीर में घोड़े जैसी ताकत आती है
ताकत का तो पता नहीं,थक कर खड़े खड़े सो जाता हूँ मै ...

सुना था..गम बाँट देने से दिलोदिमाग स्वस्थ रहते है
कमजोर दिल इंसां हूँ, मारे खौफ के सब बाँट देता हूँ मै ...

सुना था..खुशियाँ मिल बाँट कर मनाओ तो दुगनी मिलती है
लालची दिल है मेरा,जरा भी मिलती है तो लुटा देता हूँ मै ...

सुना था..बादाम खाने से याद दाश्त तेज होती है
खाता तो रोज हूँ,मगर उधार वापस करना भूल जाता हूँ मै..

सुना था..अपना मरे तो स्वर्गवासी,पराये को कोई मर गया कहते हैं लोग
इसी स्वर्ग के लालच में,सबको अपना समझता हूँ मै ....

सुना था.. लौटती बारात की भी इक समय इज्ज़त कम हो जाती है
बहुत अहंकारी हूँ मै, किसी की भी बारात में नहीं जाता हूँ मै.....

सुना था...खुदा जब भी देता है छप्पर फाड़ कर देता है
टूटने में समय ना लगे, बिना छतों के मकान में रहता हूँ मै ...

जब से सुना है..की सुनी सुनाई सब बाते सच नहीं होती
यकीन आया,उतना समझदार नहीं ,जितना खुद को समझता हूँ मै ...पवन अम्बा

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Comment by pawan amba on February 26, 2013 at 8:57pm

bahut bahut dhanywaad ..Vindeshwari Prasad Tripathi ji...Rajesh kumar Jha sahab...Harvindar Labana ji...Payal Pasha ji

Comment by Harvinder Singh Labana on February 26, 2013 at 3:14pm
Wah... Mjaaa Aa gya Ustaad ji Behad hi La-jawaab.. Zindagi ko Itne Baariki SE dekhna... Maan gye ... .Zindaabaad.
Comment by Harvinder Singh Labana on February 26, 2013 at 3:12pm
Wah... Mjaaa Aa gya Ustaad ji Behad hi La-jawaab.. Zindagi ko Itne Baariki SE dekhna... Maan gye ... .Zindaabaad.
Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:09am

बहुत सुंदर रचना हरेक सुने को यूं बुनना इतना आसान नहीं, सादर

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 26, 2013 at 8:55am
सृजनशीलता को मार देना आत्मा का हनन है,सर लेकिन आपने दुबारा लिखना शुरु किया समझिये पुनर्जन्म हुआ।दुबारा लिखने पर बधाई
Comment by pawan amba on February 26, 2013 at 8:39am

आप आडमिन और विशाल चर्चित भाई को दिल से धन्यवाद ..जो मुझे आपने अपने इस ग्रुप मे जगह दी.
मेने लिखना छोड़ दिया था.लेकिन अब कोशिश कर रहा हूँ दुबारा लिखने की ..और उस कोशिश का ये पहला प्रयास है. और संदीप कुमार पटेलजी,वन्दना तिवारी जी,दा प्राची सिंह जी,किशन कुमार जी,विंधेयशवरी प्रसाद त्रिपाठी जी..लक्ष्मण प्रसाद जी,,,आप सब का दिल के हर कोने से धन्यवाद...आप सब के कोमेंट्स से दिल मे फिर से नयी शुरुआत करने की हिम्मत मिली है ...बहुत बहुत धन्यवाद इस ग्रुप को और इस ग्रुप के सभी सदस्यों को......

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:19pm

वाह वाह वाह बहुत ही सुन्दर सुना और गुना बधाई हो आदरणीय

Comment by Vindu Babu on February 25, 2013 at 5:52pm
सही कहा आपने आदरणीया प्राची जी, आदरेय अम्बा महोदय ऊपर की पंक्तियों में तो अपना पांडित्य सुस्पष्ट कर रहे हैं और अंत मे...-''उतना समझदार नही हूं मै''
बहुत सुन्दर,
बधाई आपको!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 25, 2013 at 3:30pm

जब से सुना है..की सुनी सुनाई सब बाते सच नहीं होती 
यकीन आया,उतना समझदार नहीं ,जितना खुद को समझता हूँ मै..

वाह अंत में बाजी ही पलट दी पूरी रचना की....... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , हार्दिक बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 11:43am
वाह क्या कमाल लिखा है,आदरणीय आपने।
जब से सुना है सुनी सुनाई बातें सच नहीं होती..................
यह पंक्ति तो गजब की बन पड़ी है बधाई पवन जी!।

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