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एक शक्ति

जागृत हो

आराधना

करनी चाहियें

ईश्वर की

वो बल शक्ति दो

जिससे समस्त

समाज को

हर स्त्री

एक सशक्त

संतान दे

जिसका कर्म

मानव समाज को

समर्पित हो |

तुषार राज रस्तोगी

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tushar Raj Rastogi on February 19, 2013 at 6:50am

नहीं जी स्त्री से सिर्फ इतनी अपेक्षा है के वो एक संतान उत्पन्न करे और उस संतान को सुसंतान बनाना तो माता और पिता दोनों के हाथ में है | परन्तु वो समय जिसमें संतान गर्भ में रहती है उस समय की नारी की सोच, आचार, विचार और व्यवहार सबका असर शिशु के मन, मस्तिष्क और विकास पर भी पड़ता है तो उस समय एक आशावादी और सकारात्मक सोच का होना अनिवार्य है जो की शिशु के प्राकृतिक स्वाभाव के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है | क्योंकि जीवन को प्राण सिर्फ एक स्त्री ही दे सकती है | यदि पुरुष संतान उत्पन्न कर सकते तो ये बात उनपर भी लागू होती | पर इश्वर ने ये गौरव और हक सिर्फ स्त्री को दिया है इसलिए इसके आगे की बहस व्यर्थ और मिथ्या हो जाती है | बाकि आगे तो जीवन में सबसे ऊपर किस्मत ही चलती है चाहे स्त्री हो या पुरुष |

Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 11:55am

तुषार जी स्त्री तो संतान पैदा कर देती है लेकिन वो सुसंतान हो इसकी गारंटी भी आप स्त्री से ही चाहते हैं ????

Comment by Tushar Raj Rastogi on February 17, 2013 at 10:14pm

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया :)

Comment by वेदिका on February 17, 2013 at 6:20pm

यतार्थपरक होना भी कुछ है ... शुभकामनाये।

Comment by Meena Pathak on February 17, 2013 at 5:34pm

सारी अपेक्षाएं स्त्री से ही क्यूँ .....

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 17, 2013 at 5:33pm

कामना पुत्र की क्यूँ पुत्री भी महान है 

इश्वर की कृति दोनों सर्व शक्तिमान है 

बधाई, आपकी प्रस्तुति हेतु 

Comment by Tushar Raj Rastogi on February 17, 2013 at 2:11pm

शुक्रिया प्राची जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 17, 2013 at 10:23am

मानव समाज को सुसन्तति मिले इसकी अपेक्षा सिर्फ स्त्री से...क्यों?

क्या उस शक्ति की ज़रुरत हर इंसान को नहीं जो समाज का अभिन्न अंग है.

यदि समाज को स्वरुप देना सिर्फ स्त्री का ही कर्मक्षेत्र होता तो, उस शक्ति के आह्वाहन की ज़रुरत ही क्यों पढ़ती... जिसे आप स्त्रियों के लिए अह्वाहित करते हैं.

यद्यपि आपकी रचना में इंगित लक्ष्य उचित है, पर कथ्य को और चिंतन और यथार्थपरक होने की ज़रुरत है. 

आपकी और रचनाओं का भी इंतज़ार रहेगा.

शुभेच्छाएं.

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