For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"माँ शारदा स्तुति" बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

सभी आदरणीय सदस्यों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 

"माँ शारदा स्तुति" 

दोहा-
विद्या दाती शारदे, दो विद्या का दान 
मोह लोभ का नाश हो , मिटे दंभ अभिमान 

चौपाई- 
वागीश्वरि माँ शारद प्यारी|  पूजें तुमको सब नर नारी ।।
माँ सब तुमसे वाणी पाते|  देव दनुज नर सारे ध्याते ।।
श्वेत वर्ण सम चन्द्र सुशोभित| चार भुजा मुख मंडल मोहित।।
श्वेत हंस में मात विराजी | माला वीणा पुस्तक साजी ।।
श्वेत वस्त्र दिनकर से उज्जवल| वर मुद्रा धारण कर निर्मल ।।
ज्ञान कला विज्ञान धात्री| मनो बुद्धि शुभ शुचिता दात्री|
दो वर शारद माँ वरदानी| हरो क्लेश सब सुख की खानी ।।
काट तमस दुःख का अँधियारा|  बिखरा दे माँ सुख उजियारा ।।
दीप खडा है आस लगाए| कौन यहाँ से खाली जाए ।।
आज लुटा भण्डार शारदे|  भव सागर से हमें तारदे ।।

दोहा -
माँ वरदानी शारदे, देना इतना ज्ञान 
कला और विज्ञान से, सबका हो कल्याण

छंद त्रिभंगी "माँ शारद वंदन"

दोनों कर जोड़े, मन के घोड़े, मोड़े शारद, वंदन में 
नत आज चरण में, मात शरण में, श्रद्धा धारे, तन मन में 
तुम वीणापाणी, माँ वरदानी, व्याप्त धरा के, कण कण में 
सुन टेर हमारी, शारद प्यारी, शुभ सुचिता दो, जीवन में

संदीप पटेल "दीप"

Views: 1159

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 17, 2013 at 11:36am

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपने इस प्रयास को सराहा मन प्रसन्न हो उठा

ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 17, 2013 at 11:34am

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम

मैं आपके कहे को अब समझ पाया हूँ

ये स्नेह मुझ पर बनाए रखिये गुरदेव


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 8:54pm

श्रद्धा शब्द का सुधरा रूप हो गया है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 16, 2013 at 5:05pm

नमस्कार संदीप जी,

आज ही बेटे के स्कूल में सरस्वती पूजन और वसंतोत्सव का आयोजन था, वहां माँ सरस्वती की वही वन्दना सुनने को मिलीं जो हम भी अपने बचपन में गाते थे, तो मन में आया की काश कोई अलग विधा में इसे नवीनता के साथ भी प्रस्तुत करे, और आज के आज ही मंच पर आपकी यह सुन्दर प्रस्तुति पढने को मिली.....मन तृप्त हो गया जैसे.

बहुत सुन्दर दोहे, 

चौपाइयों की गेयता प्रवाहमय है..बहुत सुन्दरऔर छंद त्रिभंगी की क्लिष्टता भी एकदम सधी हुई...वाह

बहुत बहुत बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 4:04pm


आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम 
आपकी सराहना पा कर रचना कर्म सफल हुआ जान पड़ता है 

आपका बहुत बहुत आभार 
गुरुदेव त्रुटी की ओर ध्यान आकृष्ट करने हेतु बहुत बहुत  धन्यवाद 
 श्रृद् धा लिखना कठिन हो रहा है 
आ ही नहीं रहा 
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये  
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 4:01pm
आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम 
माँ शारदे की वंदना को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत आभार 
माँ शारदे मंच के सभी सदस्यों पर अपनी कृपा बनाये रखें 
और आप बड़े हम अनुजों पे अपना स्नेह और आशीष हस्त बनाये रखें 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 1:29pm

एक सार्थक प्रस्तुति हुई है, भाई संदीपजी. चौपाइयों में प्रवाह है. 

श्रृद्धा  कौन सा शब्द है ?.. :-)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 12:06pm

भाई संदीप जी, इस प्रस्तुति ने मन मोह लिया है, दोहे और चौपाइयों के माध्यम से आपने क्या खुबसूरत शमां बाँधा है और त्रिभंगी छंद आपकी अभिव्यक्ति को चरमोत्कर्ष पर ले जाता है, कुल मिलाकर यह प्रस्तुति अति सराहनीय बन पड़ी है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service