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"माँ शारदा स्तुति" बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

सभी आदरणीय सदस्यों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 

"माँ शारदा स्तुति" 

दोहा-
विद्या दाती शारदे, दो विद्या का दान 
मोह लोभ का नाश हो , मिटे दंभ अभिमान 

चौपाई- 
वागीश्वरि माँ शारद प्यारी|  पूजें तुमको सब नर नारी ।।
माँ सब तुमसे वाणी पाते|  देव दनुज नर सारे ध्याते ।।
श्वेत वर्ण सम चन्द्र सुशोभित| चार भुजा मुख मंडल मोहित।।
श्वेत हंस में मात विराजी | माला वीणा पुस्तक साजी ।।
श्वेत वस्त्र दिनकर से उज्जवल| वर मुद्रा धारण कर निर्मल ।।
ज्ञान कला विज्ञान धात्री| मनो बुद्धि शुभ शुचिता दात्री|
दो वर शारद माँ वरदानी| हरो क्लेश सब सुख की खानी ।।
काट तमस दुःख का अँधियारा|  बिखरा दे माँ सुख उजियारा ।।
दीप खडा है आस लगाए| कौन यहाँ से खाली जाए ।।
आज लुटा भण्डार शारदे|  भव सागर से हमें तारदे ।।

दोहा -
माँ वरदानी शारदे, देना इतना ज्ञान 
कला और विज्ञान से, सबका हो कल्याण

छंद त्रिभंगी "माँ शारद वंदन"

दोनों कर जोड़े, मन के घोड़े, मोड़े शारद, वंदन में 
नत आज चरण में, मात शरण में, श्रद्धा धारे, तन मन में 
तुम वीणापाणी, माँ वरदानी, व्याप्त धरा के, कण कण में 
सुन टेर हमारी, शारद प्यारी, शुभ सुचिता दो, जीवन में

संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 17, 2013 at 11:36am

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपने इस प्रयास को सराहा मन प्रसन्न हो उठा

ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 17, 2013 at 11:34am

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम

मैं आपके कहे को अब समझ पाया हूँ

ये स्नेह मुझ पर बनाए रखिये गुरदेव


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 8:54pm

श्रद्धा शब्द का सुधरा रूप हो गया है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 16, 2013 at 5:05pm

नमस्कार संदीप जी,

आज ही बेटे के स्कूल में सरस्वती पूजन और वसंतोत्सव का आयोजन था, वहां माँ सरस्वती की वही वन्दना सुनने को मिलीं जो हम भी अपने बचपन में गाते थे, तो मन में आया की काश कोई अलग विधा में इसे नवीनता के साथ भी प्रस्तुत करे, और आज के आज ही मंच पर आपकी यह सुन्दर प्रस्तुति पढने को मिली.....मन तृप्त हो गया जैसे.

बहुत सुन्दर दोहे, 

चौपाइयों की गेयता प्रवाहमय है..बहुत सुन्दरऔर छंद त्रिभंगी की क्लिष्टता भी एकदम सधी हुई...वाह

बहुत बहुत बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 4:04pm


आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम 
आपकी सराहना पा कर रचना कर्म सफल हुआ जान पड़ता है 

आपका बहुत बहुत आभार 
गुरुदेव त्रुटी की ओर ध्यान आकृष्ट करने हेतु बहुत बहुत  धन्यवाद 
 श्रृद् धा लिखना कठिन हो रहा है 
आ ही नहीं रहा 
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये  
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 4:01pm
आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम 
माँ शारदे की वंदना को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत आभार 
माँ शारदे मंच के सभी सदस्यों पर अपनी कृपा बनाये रखें 
और आप बड़े हम अनुजों पे अपना स्नेह और आशीष हस्त बनाये रखें 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 1:29pm

एक सार्थक प्रस्तुति हुई है, भाई संदीपजी. चौपाइयों में प्रवाह है. 

श्रृद्धा  कौन सा शब्द है ?.. :-)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 12:06pm

भाई संदीप जी, इस प्रस्तुति ने मन मोह लिया है, दोहे और चौपाइयों के माध्यम से आपने क्या खुबसूरत शमां बाँधा है और त्रिभंगी छंद आपकी अभिव्यक्ति को चरमोत्कर्ष पर ले जाता है, कुल मिलाकर यह प्रस्तुति अति सराहनीय बन पड़ी है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।

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