For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोली जनता को नेता जी मूर्ख बनाना बंद करो।
जनता जाग गई अब दिल्ली धौंस दिखाना बंद करो॥


जन्तर मन्तर से जनता का आजादी अभियान शुरू।
झूठे वादे तानाशाही गया जमाना बंद करो॥


हम सब के मत से ही नेता तुम इतने मतवाले हो।
है तेरी कुछ औकात नहीं रौब दिखाना बंद करो॥


चूस रहे हो खून हमारा अब हमको अहसास हुआ।
शहद लगे विषधर डंकों को पीठ चुभाना बंद करो॥


हम सबके श्रम के पैसों से पाल रहे हो तुम गुण्डे।
परदे के पीछे से छुपकर तीर चलाना बंद करो॥


हुंकार उठे हैं अब प्यादें खैर मनाओ राजा जी।
शतरंजी भाड़े के घोड़ों कूद लगाना बंद करो॥


जब जब धरती के धूल उड़े तब-तब आंधी आयी है।
इसके आगे महल उड़े हैं सामियाना बंद करो॥

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 9:56pm
जी गुरुदेव समझ नहीं सका था।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 9:18pm

//गुरदेव क्या यह किसी बह्र के आसपास है?//

हमने अपनी टिप्पणी में कहा है भाई.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 9:10pm
आदरणीय लक्ष्मण सर जी!रचना की सराहना और सुर में सुर मिलान के लिये आभार।
हम जग जाये तो उल्लू खुद ही उड़ जायेगें।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 9:07pm
जी बागी सर जी!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 9:06pm
पूज्य गुरुदेव सादर नमन!रचना की सराहना के लिये हार्दिक आभार।गुरदेव क्या यह किसी बह्र के आसपास है?
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 16, 2013 at 8:48pm
मुझे भी रचना पढ़कर जोश आ ही गया भाई श्री विन्ध्येश्वरी जी -

सिरफिर है यहाँ बहुत अब मुर्ख बनाना बंद करो 

चुनाव आरहे सिरपर, मुर्ख बनाना झट बंद करो 
ललकार रहे विन्ध्येश्वरी,अब मुर्ख बनाना बंद करो 
पद न जाए पछताना चेतो और मुर्ख बनाना बंद करो 
हार्दिक बधाई   

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 8:44pm

विन्ध्येश्वरी भाई, आपकी प्रस्तुति को प्राथमिक तौर पर ग़ज़ल कही जायेगी, काफिया, रदीफ़ का बढ़िया निर्वहन हुआ है, ग़ज़ल हेतु वजन और बहर, तकती आदि की जानकारी आप ग़ज़ल की बातें समूह से देख सकते है ।

अंत में => सवाल बचकाना नहीं है :-)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 8:41pm

पन्द्रह गाफ़ के मिसरे पर हुए इस तेवरदार ग़ज़ल के लिए बधाई, विंध्येश्वरी प्रसाद जी.. ..

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:31pm
आदरणीय बागी सर जी!रचना की सराहना के लिये हार्दिक आभार।
एक बचकाना सा प्रश्न-
कुछेक स्थानों को छोड़कर रचना में 2-2मात्राओं के हिसाब से कुल 30मात्रायें हैं।क्या यह रचना गजल हो सकती है?
अनुज की जिज्ञासा है सर!
सादर।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 16, 2013 at 8:27pm
डॉ.साहब रचना की सराहना के लिये भूरिश: आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service