For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोकायुक्त का छापा

लोकायुक्त का छापा

नाम से ज़्यादा अहम, होता कवियों का उपनाम
उपनाम कवियों को देते,एक नई पहचान
सलिल, सरल, प्यासा, घायल, आहत, अटल, अचल
एक कवि ने नाम में जोड़ा, कवि करोड़ीमल
कवि करोड़ीमल थे फक्कड़ और बिंदास
पैसा रुपया धन दौलत न थी उनके पास
कवि ह्रदय की शान में फिर भी,कमी ना आई
लेते थे जिसका देते थे पाई पाई
नाम से भ्रमवश उनके यहाँ पहुँचा,लोकायुक्त का दल
जानकर गदगद हुए कवि करोड़ीमल
छानबीन में दल के कुछ हाथ ना आया
गुस्से में वो बोले कहाँ छुपाई माया
शहर में आपके नाम की हो रही है चर्चा
बताएँ, आय के स्रोत, कितना करते है खर्चा
तव कविबर ने उन्हे एक पांडुलिपि थमाई
बोले ,यही है मेरी दौलत ,मेरे जीवन भर की कमाई
लाखों दिलों में कविता मेरी पैदा करती हलचल
करोड़ों की रचनाएँ हमारी फिर भी मैं हूँ निश्च्छल
आय से अधिक संपत्ति का, मैं ने जोड़ा है भंडार
अतः श्रीमान वेशक मुझे, आप करे गिरफ्तार
या लाख रुपये लेकर मसले का कर दीजै निष्पादन
राज़ी हों तो लाख की कविता का, कर देता हूँ पाठन
दल ने दहशत में हाथ जोड़कर माँगी माफी
छमा करें कविराज लाख रुपये रहने दीजिए बाकी
साहित्य रूपी धन का, आप करते वारे न्यारे
भूल हुई हमसे ,जो कवि घर पधारे
Dr.Ajay Khare Aahat

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 15, 2013 at 4:55pm

आदरणीया डॉ अजय जी ...अपना नाम खोजते मै  भी आ   धमका कहीं मेरा नाम देख  उचक्के न पड़  जाएँ पीछे की भ्रमर है तो कुछ  पराग मधु का व्यापर तो होगा ही है बड़ा पहरा है आज कल ...

सुन्दर हास्य व्यंग्य का पुट  लिए रचना 
जय श्री राधे 
भ्रमर 5 
Comment by Dr.Ajay Khare on February 12, 2013 at 2:55pm

MANJARI MAM SAHITY ROOPI DHAN ANMOL HOTA HE JISKO AANKNA MUSKIL HAI PESA RUPYA ESKE SAMNE FEEKA HAI YAHI KAVI KI MANYTA HAI

Comment by Abhinav Arun on February 12, 2013 at 2:03pm

वाह अच्छा है नयी हवा के झोंके समान ताजगी है इस रचना में हार्दिक बधाई श्री अजय जी !!

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 12:58pm

 नादिर खान जी ,अच्छा शेर -      धरम बेचते हैं   ये धरम के पुजारे , हमें लूटते हैं रक्षक हमारे।

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 12:50pm

लोकायुक्त का  छापा तो सही था पर आजकल सब फक्कड़ कवि  नहीं हैं . पढ़ कर अच्छा  लगा

Comment by Dr.Ajay Khare on February 12, 2013 at 11:28am

Adarniya Pandey ji hosla afjai hetu sadhubaad


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 11, 2013 at 11:56pm

भई अजय खरे साहब. बहुत रोचक हास्य रचना हुई है. बहुत-बहुत बधाई. आगे भी आपसे इसी तरह की रचना की अपेक्षा रहेगी.

हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
6 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service