For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक मीठी तकरार ,
एक दुसरे पर अधिकार!
यही तो कहलाता है ,
एक संयुक्त परिवार !!
********************
रोने से क्या होता है ,
यहाँ लड़ना पड़ता है !
कर्महीन और कायर ही ,
उत्पीडन झेला करता है !
***********************
रोते को हँसा कर देखो,
भूखे को खिलाकर देखो !
कितनी आत्म शांति इसमे ,
एक बार आज़माकर देखो !
************************** 
पचपन में भी लार टपकाते ,
गन्दी नज़रों से सबको निहारते !
छींटदार चरित्र वाले ही अक्सर ,
चरित्र निर्माण का भाषण सुनाते !
********************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 364

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 8:41pm

laxman sir हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आयी!

Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 8:40pm

prachi mam हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आयी!

Comment by ram shiromani pathak on February 4, 2013 at 8:39pm

गणेश सर हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आयी! मेरी गलतियों पर आप लोग कमेन्ट नहीं करेंगे तो मुझे कैसे मालून पड़ेगा की मै किस दिशा में जा रहा हूँ !आप श्रेष्ठ है !मै नया नया हूँ , सर अतः मेरी किसी भी गलती को क्षमा करते हुए मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करे ...............सादर  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2013 at 8:17pm

//पचपन में भी लार टपकाते ,
गन्दी नज़रों से सबको निहारते !
छींटदार चरित्र वाले ही अक्सर ,
चरित्र निर्माण का भाषण सुनाते !//
बचपन में पचपन की बात, बहुत खूब , सुन्दर ख्याल, बधाई स्वीकार करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 4, 2013 at 5:03pm

प्रिय राम शिरोमणि जी, सुन्दर भावों को व्यक्त किया है आपने, बधाई स्वीकारे.

आपके पास बहुत सारे सुन्दर कथ्य हैं, उन्हें विधाजनित शिल्प दे कर देखें अभिव्यक्ति का रूप ही बदल जाएगा.

शुभ कामनाएं 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2013 at 2:21pm

एक मीठी तकरार ,एक दुसरे पर अधिकार!

यही तो कहलाता है,एक संयुक्त परिवार !!-बहुत सुन्दर रचना बधाई श्री राज शिरोमणि पाठक जी 

दो मीठे शब्द बोल कर देखो 

एक दुसरे के भार को बांटने के देता है अधिकार 

उसे कहते है संयुक्त परिवार -लक्ष्मण लडीवाला 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
7 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service