For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रावण संबाद

रावण दहन हेतु जेसे ही नेता जी आगे बढे
दशानन बोल पड़े मुझे
मुझे जलाने के लिए क्या उपयुक्त हे
क्या आप बुराई से पूरी तरह मुक्त हे
फिर क्यों कर रहे हे मुझे अग्नि के हबाले
जबकि आपने किये हे कई घपले घोटाले
आपके कारनामे संगीन हे
आप पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लीन हे
राम बनकर हमारी नीतियों पर छलते हे
सफेदपोश बनकर देश को छलते हे
अतः रावण कौन हे पहले हो संज्ञान
फिर कराएँ मुझे अग्नि स्नान
में बुराई का प्रतीक बेशक मुझे जलाइये
किन्तु मुझे जलाने के लिए राम तो लाईये
आज देश महगाई भ्रष्टाचार गरीबी बेरोजगारी आतंकबाद से तृस्त हे
पूरा देश मुझे जलाने में व्यस्त हे
मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में 
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे


डॉ अजय आहत

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 3:45pm

में बुराई का प्रतीक बेशक मुझे जलाइये
किन्तु मुझे जलाने के लिए राम तो लाईये--- बहुत सुन्दर बधाई डॉ धरे भाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:42pm

मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में 
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे......................बहुत खूब

 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 11:49am

sinhg sahib hosla afjai ke liye sadhubad

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 12, 2012 at 4:21am

मेरा दहन तो हो गया था त्रेता काल में 
फिर भी रामराज्य न आया सेकड़ों साल में
अतः जिस दिन आप मुझे अपने दिलो दिमाग सोच आचरण से निकलने में सफल हो जायेंगे
उस दिन हम बिना अग्नि के ही भस्म हो जायेंगे

सचमुच आहत कर गयी आपकी यह कविता! बधाई! डॉ. साहब!

Comment by arvindsamir on December 11, 2012 at 5:56pm

dr ajay aahat ji ravan kavita aaj aur kal prashangik rahegi.badhai

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 5:20pm

Sandeep ji thanks for advise but i dont know hindi typing i use translator thats why such type of mistake is occure for future i will try to improve

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 4:59pm

आदरणीय अजय जी सादर प्रणाम
आपकी रचना में बाकई रावण के तर्क ग़लत नहीं है
किन्तु आपकी रचना में टंकण की बहुत सी गलतियां हैं जिसकी वजह से हो सकता है की पाठक को पढने में रुचिकर न लगे
कृपया आप ये त्रुटियाँ दूर कर लीजिये
ताकि पढ़ते समय पाठक केवल रचना में निहित भावों के झरने में काव्य स्नान कर सके
धन्यवाद आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service