For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारी फिर से मुलाकात हो नहीं सकती...

तमाम उम्र भी ये बात हो नहीं सकती,
हमारी फिर से मुलाकात हो नहीं सकती।

हर एक ख्वाब की ताबीर मिल सके हमको,
कोई भी ऐसी करामात हो नहीं सकती।

गुरूब हो चुका मेरे नसीब का सूरज,
अब और नूर की बरसात हो नहीं सकती।

मैं रात हूँ मुझे सूरज मिले भला कैसे,
हो शम्स पास तो फिर रात हो नहीं सकती।

बजाय हमको मनाने के कह गये है वो,
के छोडो हमसे इल्तजात हो नहीं सकती।

कोई गुनाह बहुत ही कबीर है मेरा,
कबूल जिसकी मुनाजात हो नहीं सकती।

छुपा के रक्खूँ ये रिश्ता यूँ ही ज़माने से,
के हमसे इतनी एहतियात हो नहीं सकती।

हमारा दिल है के काबू में आ नहीं पाता,
तुम्हें भुलाने की शुरुआत हो नहीं सकती।

हयात पास है "इमरान" जब तलक तेरे,
ये खत्म तल्खी ए हालात हो नहीं सकती।

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on December 3, 2012 at 7:36pm
गुरूब - अस्त
शम्स - सूरज
इल्तजात - प्रार्थानायें
कबीर - बड़ा
मुनाजात - रात के अंधेरे में खुदा के सामने गुनाह कबूलकर माफी माँगना
हयात - जीवन
तल्खी' ए हालात - वर्तमान कठिनाइयाँ
Comment by इमरान खान on December 3, 2012 at 7:24pm
कवि - राज बुन्दॆली जी आपका हार्दिक आभार
Comment by इमरान खान on December 3, 2012 at 7:23pm
डॉ. सूर्या बाली शुक्रगुज़ार हूँ मैं आपका
Comment by इमरान खान on December 3, 2012 at 7:22pm
रविकर जी गजल पसंद करने का शुक्रिया

शब्दों के अर्थ मैं टिप्पणी के रूप में डाल दूँगा
Comment by इमरान खान on December 3, 2012 at 7:20pm
अरुन शर्मा साहब बहुत शुक्रिया आपका
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 3, 2012 at 6:34pm

वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है,,,,,,,,,,,

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 3, 2012 at 3:37pm

अच्छी ग़ज़ल हुई इमरान भाई। हर एक शेर लाजवाब। दाद कुबूल करें !

Comment by रविकर on December 3, 2012 at 11:57am

बहुत बढ़िया भाई इमरान जी |
कुछ शब्दों के अर्थ भी लिख दें,
हम जैसे अधिक समझ पाएंगे उर्दू के ठेठ शब्दों को -
आभार ||

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 11:13am

 बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है भाईजान ढेरों दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service