For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तछंद कविता सम जीवन,
तुकबंदी की बात कहाँ है ||

लय, रस, भाव, शिल्प संग प्रीति |
वैचारिक सुप्रवाह की रीति ||
अलंकार से कथ्य चमकता |
उपमानों से शब्द दमकता ||
यगण-तगण जैसे पाशों से,
होता कोई साथ कहाँ है |
मुक्तछंद कविता सम जीवन,
तुकबंदी की बात कहाँ है ||

अनियमित औ स्वच्छंद गति है |
भावानुसार प्रयुक्त यति है ||
अभिव्यक्ति ही प्रधान विषय है |
तनिक नहीं इसमें संशय है ||
ह्रदयचेतना से सिंचित ये,
ऐसा यातायात कहाँ है |
मुक्तछंद कविता सम जीवन,
तुकबंदी की बात कहाँ है ||

Views: 1249

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 8, 2012 at 6:34pm

आदरणीया राजेश जी, कविता के भावों को संतुष्ट करती प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 8, 2012 at 6:34pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अरुण श्रीवास्तव जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 4:05pm

वाह वाह ---वैसे देखो तो जीवन में और बहुत नियम क़ानून हैं छंद बद्ध  होना जरूरी नहीं जीवन में वैसे ही गेयता बनी रहे वही  बहुत है बहुत बढ़िया लिखा कुमार अजितेंदु जी वैसे आजकल ये छंद ,अलंकार ,शिल्प गेयता ,यगण ,तगण  मेरे सपने में भी आने लगे  हाहाहा बुरा न मानो दीवाली है 

Comment by Arun Sri on November 8, 2012 at 11:53am

बहुत खूब लिखा आपने ! कम से कम मुझ जैसे अतुकां त लिखने वालों के लिए तो अच्छा उदाहरण ही है ! :-)) बहरहाल ! अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 7, 2012 at 8:01am
आदरणीय गुरुदेव...आपका हार्दिक आभार...आपकी प्रतिक्रिया सुखद लगी...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 6, 2012 at 6:39pm

बहकने का बढिया कारण निकाला है .. हा हा हा...

ख़ैर, मज़ाक नहीं, सुन्दर प्रयास हुआ है , अजीतेन्दुजी.  बधाई

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 5, 2012 at 7:00pm

सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीया प्राची दीदी.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 5, 2012 at 6:59pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण सर.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 5, 2012 at 6:59pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय रविकर सर........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 5, 2012 at 5:13pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, 

मुक्तछंद कविता सम जीवन,
तुकबंदी की बात कहाँ है ||.............वाह !

हार्दिक बधाई इस रचना के लिए प्रिय कुमार गौरव जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service