For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोज की तरह मंदिर के सामने वाले पीपल के पेड़ की छाँव में स्कूल से आते हुए कई बच्चे सुस्ताने से ज्यादा उस बूढ़े की कहानी सुनने के लिए उत्सुक  आज भी उस बूढ़े के इर्द गिर्द बैठ गए और बोले दादाजी दादा जी आज भूत की कहानी नहीं सुनाओगे ?नहीं आज मैं तुम्हें इंसानों की कहानी सुनाऊंगा बूढ़े ने कहा-"वो देखो उस घर के ऊपर जो कौवे मंडरा रहे हैं आज वहां किसी का श्राद्ध मनाया  जा रहा है, उस लाचार बूढ़े का जो पैरों से चल नहीं सकता था पिछले वर्ष उसकी खटिया जलने से मौत हुई थी उसकी खाट के पास उसकी बहू ने  एक छोटी सी स्टूल पर भगवान् की फोटो रखी और कुछ अगर बत्तियां | सोते हुए बूढ़े के हाथ में माचिस और एक अगर बत्ती पकड़ा दी और उसके बिछौने के चारो कोनों में आग लगा कर दरवाजा भिड़ा कर चली गई सुबह आग की लपटों को देख आस पास के लोगों ने बूढ़े को अधजला मृत पाया और बात फ़ैल गई कि पूजा करते हुए बिस्तर में चिंगारी लग गई और ये हादसा हो गया | जीते जी तो इंसानों की कद्र नहीं करते और मरने के बाद देखो कैसा जश्न मना रहे हैं और देखो जो  आज भोजन की थाली में हलुआ रखा है  ना उस हलुए के लिए मैं  हमेशा तरसता- तरसता चला गया | बच्चों ने , जो अभी तक कौवों को ही देख रहे थे यह सुनते ही अचानक जो पलट कर देखा वो बूढा दादा जी गायब था और बच्चे अनसुलझी पहेली को सुलझाने में लगे थे |

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 12, 2012 at 1:52pm

बात तो सही है, आदरणीया राजश कुमारीजी. परिवार के परिवार बुज़ुर्ग़ों के साथ, एक तरह से, नाइन्साफ़ी कर रहे हैं. और कथा में यह बात उभर कर सामने आयी है. परन्तु, इस कथा की पृष्ठभूमि इतनी व्यापक है कि अब लगता है कि काश इस कथा पर आपने थोड़ा और समय दिया होता. इंगितों में कही गयी बात अधिक अपीलिंग होती है, यह सत्य है.

आदरणीया, अब थोड़ा हल्के मुड में. प्रस्तुत कथा का जिसतरह से अंत हुआ है, उस तरह की कोई घटना उन भोले बच्चों को छोड़िये किसी के साथ हुई तो उनके लिये किसी अनसुलझी पहेली के सुलझने का क्या माहौल रहा होगा, मारे डर के अलबत्ता घिग्घी बँध गयी होगी. सही कहिये, ब्रह्माण्ड फट गया होगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2012 at 11:51am

आदरणीय योगराज जी आपको कहानी पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 12, 2012 at 10:57am

बहुत सुन्दर लघुकथा कही है आद राजेश कुमारी जी दिन-ब-दिन दम तोडती क़द्रों कीमतों पर बढिया प्रहार किया है, बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2012 at 9:23am

आदरणीय बागी जी हार्दिक आभार आपने इस कथा को सराहा सच में आजकल की आये   दिन होने वाली घटनाएं बुजुर्गों के प्रति आज की पीढ़ी की संकुचित होती संवेदनाएं ही ऐसी  पटकथा तैयार कर रही हैं 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2012 at 9:13am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सच में यह कथा कई कई पहेलियों को जन्म देती है, इंसान में घटते हुए मूल्यों, संस्कारों, दिखावापन को रेखांकित करती हुई एक अच्छी कथा पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2012 at 9:05am

अविनाश बागडे जी दिल से शुक्रिया कहानी की सराहना के लिए 

Comment by AVINASH S BAGDE on October 11, 2012 at 11:49pm

हमारे खोखले आदर्शों को तमाचे मारती हुई लघु कथा।बधाई राजेश कुमारी जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2012 at 8:56pm

अशोक कुमार रक्ताले जी बहुत- बहुत हार्दिक आभार कहानी के मर्म को दिल से महसूस करने के लिए आजकल इस दुनिया में श्रवण कुमार विरले ही  होते हैं| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2012 at 8:54pm

प्रिय प्राची जी यही तो चिंतनीय बात है की जो आपको जीवन देते हैं पाल पोस कर बड़ा करते हैं उनकी वृद्धावस्था में इतनी उपेक्षा क्यूँ और उनके म्रत्यु उपरान्त लोक दिखावे या भगवान् के प्रकोप से बचने के लिए ये आडम्बर |बहुत- बहुत हार्दिक आभार कहानी के मर्म को दिल से महसूस करने के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2012 at 8:50pm

प्रिय सीमा अग्रवाल जी बहुत बहुत हार्दिक आभार कहानी को सराहने हेतु .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service