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देश में हिंदी लाओ !

हिंदी दिवस मना रहे, अंग्रेजी की खान/
कैसे हो हिंदी भला, मिले इसे सम्मान//
मिले इसे सम्मान,ज्ञान का कोष अनूठा/
हर जिव्हा पर आज,शब्द परदेशी बैठा//
कह अशोक सुन बात,भाल पर जैसे बिंदी/
करो सुशोभित आज, देश की भाषा हिंदी//


लाओ फिरसे खोज कर,हिंदी के वह संत/
जिनसे थी प्रख्यात ये,चुभे विदेशी दंत//
चुभे  विदेशी   दंत,  बहा  दो   हिंदी गंगा/
करते जो बदनाम, करो अब उनको नंगा//
कह अशोक यह बात, दासता दूर भगाओ/
करो विदेशी दूर, देश में हिंदी लाओ//

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Comment

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Comment by seema agrawal on September 12, 2012 at 10:44am

आपकी रचना धर्मिता और भावों के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं अशोकजी ......

अंबरीश जी द्वारा कही गयी सभी बातों को मै भी समर्थन देती हूँ ...आपके सद्प्रयासों के लिए आपके पुनः बधाई 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 10:29am

//हिंदी दिवस मना रहे, अंग्रेजी बयान/              "अंग्रेजी बयान' में एक मात्रा कम है इसे अंग्रेजी की खान भी कहा जा सकता है           
कैसे हो हिंदी भला, मिले इसे सम्मान//             चलेगा .....
मिले इसे सम्मान,ज्ञान का कोष अनूठा/           सत्य वचन ....
हर जिव्हा पर आज,शब्द परदेशी बैठा//            यही तो दर्द है ....
कह अशोक सुन बात,भाल पर जैसे बिंदी/         वाह वाह .....
करो सुशोभित आज, देश की भाषा हिंदी//
         शानदार कुंडली के लिए बधाई मित्र !

लाओ फिरसे ढूंड कर, हिंदी के वह संत/             'ढूंड' में वर्तनी दोष है इसे ठीक कर लें या इसके  बजाय 'खोज' का प्रयोग कर सकते हैं 
जिनसे थी प्रख्यात ये, चुभे विदेशी दंत//           यह सही है ....
चुभे विदेशी दंत, बहा दो हिंदी गंगा/                 बहुत खूब ......
करते जो बदनाम, लगाओ उनको डंडा //           तुक की दृष्टि से 'लगाओ उनको डंडा' के बजाय 'करो अब उनको नंगा' कैसा रहेगा ?
कह 'अशोक' यह बात, दासता दूर भगाओ/
करो विदेशी दूर, देश में हिंदी लाओ//                मातृभाषा के प्रति अति सुन्दर भाव ....... बधाई मित्रवर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 12, 2012 at 10:12am

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी,
 मातृ भाषा हिंदी के प्रति उन्नत भाव  युक्त इस कुण्डलिया छंद प्रयास हेतु हार्दिक शुभकामनाएं. कहीं कहीं मात्रिक गणना की त्रुटियाँ हैं.
 
कह अशोक सुन बात,भाल पर जैसे बिंदी/
करो सुशोभित आज, देश की भाषा हिंदी//........ बहुत सुन्दर शब्द व प्रवाह इन पंक्तियों में 

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