For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ - ईश्वर की परम सुकृति की तरफ.....

चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...

मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....

तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...

अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....

तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....

निकलोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....

जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...

- VISHAAL CHARCHCHIT

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 13, 2012 at 3:00pm

धन्यवाद प्रिय विशाल जी, हमारे ओ बी ओ पर सभी सम्मानित सदस्यों के नाम फेसबुक व आर्कुट की तरह कट-पेस्ट न करके उन्हें सम्मानजनक तरीके से हिन्दी में टाइप करने की ही परम्परा है ! सस्नेह 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 2:56pm

आपका ह्रदय से आभारी एवं इस स्नेह सदैव आकांक्षी हूँ  Ambarish भाई जी !!!!

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 13, 2012 at 2:53pm

उत्तम प्रवाहयुक्त यह गेय रचना स्वयं में अत्यंत सार्थक सन्देश समाहित किये हुए हैं .....इस हेतु हमारी ओर से साधुवाद....सस्नेह  

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 2:45pm

आपकी शुभकामनायें - आपका मार्गदर्शन मेरे लिए किसी स्वास्थ्यवर्धक औषधि से कम नहीं Saurabh सर......नमन !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 2:43pm

माय सिस द ग्रेट  Kiran तुम्हारा स्नेह - तुम्हारी प्रेरणा मेरे लिए विशेष स्फूर्तिदायी है !!! 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 2:41pm

seema  दीदी.......आपको - आपके स्नेह को प्रणाम करता हूँ !!! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 13, 2012 at 2:24pm

सकारात्मक नोट के साथ इस गेय रचना का अंत अभिभूत कर गया, भाई विशालजी.

हार्दिक शुभकामनाएँ .. .

Comment by Kiran Arya on September 13, 2012 at 1:50pm

जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो......वाह भाई मेरे.......
जिसको है ये भान हुआ उसने ही तो जग पाया है
वर्ना तो बाकी सब आती जाती सी माया है.........बहुत गौरान्वित महसूस कर रही हूँ आज मैं बहुत ही सुंदर कृति दिल जीत लिया तुने आज............जियो................:))

Comment by seema agrawal on September 10, 2012 at 4:38pm

 अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से.........वाह बहुत खूबसूरत विषय और उसको अभिव्यक्त करती आपकी रचना बस नदी सा प्रवाह लगा एक बार में पूरी कविता पढ़ गयी और रम गयी आपके कथन में 
सच में दुनियाँ में अगर कोई अप्रतिम जादूगर है तो वो है प्रकृति.... रंग अलंकार विज्ञान कविता सम्मोहन खुशी दुःख पीड़ा उल्लास क्या नहीं है इस जादूगर की झोली में  ........... यूँ ही लिखते रहिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service