For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है ग़ज़ल ताज़ा कही तू या लिखी तहरीर है

संदली नाजुक बदन या बोलती तस्वीर है
आयतें खामोशियाँ हैं शर्म ये तफ़सीर है

सर्द हैं जुल्फों के साए सोज साँसों में भरी
कातिलाना है अदा या ख्वाब की ताबीर है

ये गजाली चश्म तेरे श्याह गहरी झील से
औ तबस्सुम होंठ पे जैसे कोई शमशीर है

हैं शहद अल्फाज उर्दू की रवानी भी निहाँ
है ग़ज़ल ताज़ा कही तू या लिखी तहरीर है

आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है

मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने 
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है

"दीप" इन हर्फों में कैसे हो बयाँ जो है खुदा
नूर उनका क्या लिखूंगा ये तो बस तसगीर है

संदीप पटेल "दीप"

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilansh on September 9, 2012 at 8:25pm

इक सुंदर ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई संदीप जी 

Comment by satish mapatpuri on September 7, 2012 at 1:40am

मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है

सुभान अल्लाह ....... बेहतरीन ..... बहुत खूब .... दाद कुबूल फरमाएं संदीप जी

Comment by वीनस केसरी on September 7, 2012 at 1:33am

यह प्रयास भी सम्पूर्णता को प्राप्त हुआ
आपका लगातार प्रयासरत रहना ही एक दिन आपको ग़ज़ल के विराट पर्वत में तल से शीर्ष पर ले जायेगा 
हार्दिक आभार एवं बधाई

अशुद्ध वर्तनी से मज़ा किरकिरा होता है
ज़रा ध्यान दें 

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 6, 2012 at 7:48pm

आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है

मुफ्लिशी में इश्क की दौलत लुटाई आपने 
आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है

वाह वाह संदीप ....मान गये उस्ताद ..आपकी चाहत ही मेरी कीमिया जागीर है..क्या कहने है

Comment by Rekha Joshi on September 6, 2012 at 7:45pm

आपकी ही जुस्तुजू थी आपकी ही आरजू
आपका दीदार होना भी मेरी तकदीर है,बहुत खूब संदीप जी ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service