For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मर्यादित आचरण ही,सद्चरित्र व्यवहार,
सद्चरित्र व्यवहार से,हो दर्शन करतार //

कर दर्शन करतार के, सदाचार सोपान,
सदाचार सोपान से, होगा बेडा पार //

होगा बेडा पार तब,परहित तेरे कर्म,
परहित तेरे कर्म हो, उसेही मनो धर्म //

पुरुषोत्तमश्री राम का, है मर्यादित चरित्र,
अनुशासित नित्कर्म, है आचरण पवित्र //

जीवन दर्शन तत्व को,कृष्ण ही समझाय
युक्ति संगत करम को, कर्मयोगी बतलाय //

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 11, 2012 at 6:35pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरनीय महिमाश्री जी,  

Comment by MAHIMA SHREE on September 11, 2012 at 12:46pm

बहुत खूब  आदरणीय  लक्ष्मण सर .. सुंदर सन्देश देते दोहों के लिए बधाई स्वीकार करें  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 2, 2012 at 6:14pm

हार्दिक धन्यवाद भाई सौरभ पाण्डेय जी, आपके सानिध्य में प्रयास सफल होता लग रहा है, उसके लिए आपका आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 2, 2012 at 4:59pm

लक्षमण भाई जी, आप द्वारा दोहे छंदों पर किया गया सार्थक प्रयास हृदय को बहुत-बहुत मुग्ध कर गया है.

बधाई और शुभकामनाएँ.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 2, 2012 at 12:06pm

जी आदरणीय भाई श्री योगराज जी. निश्चित ही मेरा तुकबंदी से प्रथक छंद पर प्रयास ओबीओ से जुड़ने और आपके सुझावों/आलोचनाओ की दें है, जिसे मै एक विद्यार्थी की तरह सीखने का सोचकर सकारात्मक मानता हूँ | मेरे प्रयासों में आदरणीय अम्बरीश जी, विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी,सौरभ पाण्डेय जी,अलबेला खत्रीजी,तिलक राज जी,संजय मिश्रा हबीब, बागीजी, डॉ. प्राची जी, डॉ. सूर्या बाली सहित ओबीओ टीम के बहुत से साहित्य प्रेमियों का स्नेह सहयोग प्राप्त हो रहा है | सभी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए मेरा हार्दिक आभार | आपकी प्रसन्नता वैसी ही लग रही है जैसे गुरुकुल में सिक्षार्थी की प्रगति से गुरुवर की प्रसन्नता |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 1, 2012 at 8:53pm

आपको दोहा छंद में कलम आजमाई करते देखना बहुत ही सुखकर लग रहा है बड़े भाई लडीवाला जी, यह ओबीओ की सकारात्मक ऊर्जा है जिसने आपको छंद कहने के लिए प्रेरित किया है. रबड़ छंद में अभिव्यक्ति करने वालों के लिए आपका यह प्रयास एक मिसाल बन जाना चाहिए. ओबीओ प्रधान सम्पादक होने के नाते आपकी प्रगति से मैं बेहद हर्षित हूँ, ज़रा मात्रायों एवं प्रवाह पर और ज्यादा ध्यान दें. बहरहाल इस सद्प्रयास हेतु मेरी कोटिश: बधाई स्वीकार करें. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 4:09pm

दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री फूल सिंह जी 

Comment by PHOOL SINGH on September 1, 2012 at 11:11am

आदरणीय लक्ष्मण जी प्रणाम,

आपका बहुत ही सुंदर DHOHE बधाई ................

फूल सिंह

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 9:25am

हार्दिक आभार आदरणीया रेखा जोशी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 9:23am

हार्दिक आभार आपका भाई श्री अशोक कुमार रक्ताले जी,

आपके कथन से मेरा आत्म विश्वास और बढ़ जाता है | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
17 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
40 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
45 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
52 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
52 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service