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कर्म ने ही सुखद भाग्य बनाया 

गीता में कृष्ण ने यही बताया |

 

मदद ली जाती  है, इसकी समझ धरो 

भूलोंसे सीख का मन में उन्माद भरो |

 

प्रभु के दिए मौके को न जाने दिया करो 

उंगलियाँ यूँ ही  न सब पर उठाया करो | 

 

बीते वक्त की याद ने मन दुखी कराया 

उठों तभी सवेरा है, मन को समझाया |

 

सपने ने जब सुखद अहसास कराया

नदियां  पार करने का साहस आया | 

 

वक्त कीमती है, उसे न यूँ ही जाया करो 

जो गया फिर न लौटेगा उसे अपना करो |

कर्म अपना मुक्कमल तो किया करो             

उंगलियाँ न यूँ भाग्य पर उठाया करो |

 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

  

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 11:15am

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद मित्र श्री अशोक कुमार रक्ताले जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 30, 2012 at 7:57pm

कर्म अपना मुक्कमल तो किया करो             

उंगलियाँ न यूँ भाग्य पर उठाया करो |

भगवान् श्री कृष्ण के संदेशों का स्मरण कराती सुन्दर रचना. बधाई.

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