For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद कुंडलिया छंद!

नेता


नेता सा वह आदमी, होता था जो आम /
जा संसद में बैठता, होता है बदनाम //
होता है बदनाम, काम के लेता पैसे /
दिया अमूल्य वोट, दें फिर कैसे पैसे //
गया महल में बैठ, रहा झुग्गी में सोता /
बन गया ये खास, आम रहा नहीं नेता //


बोले हरदम झूठ जों, नेता वही कहाय/
ओछे करके काम जों, मोटा माल बनाय//
मोटा माल बनाय,निराले सपन दिखाता/
भूखा सोय गरीब, ये मोबाईल लाता//
बोले यही अशोक, बचो धोखे से भोले/
नेता वही कहाय, हरदम झूठ जों बोले//

वीर

सीमा पे चौकस सदा, रहता वीर जवान/
आजाए दुश्मन कभी, करता काम तमाम//
करता काम तमाम, छुडा देता है छक्के/
देख वीर का जोश, रहे सब हक्के बक्के//
सदा सुर्य सा तेज, कभी होता नहि धीमा/
जब हों ऐसे वीर, सुरक्षित रहती सीमा//

आतंक

फैला हर इक देश में, यह जहरीला डंक/
करता निर्मम वार ये, कहलाता आतंक//
कहलाता आतंक, वार ये सब पे करता/
मरते कितने लोग, बुढा बच्चा है मरता//
उजड़े कई सुहाग,हुआ दामन भी मैला/
पड़ते नफ़रत बीज, जब आतंक है फैला//

Views: 381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on August 28, 2012 at 4:40pm

श्री रक्ताले जी , शुरू से लेकर आखिर तक सुन्दर ! क्या बखान किया है नेता का , वाह ! मेरा सलाम क़ुबूल करें

Comment by PHOOL SINGH on August 28, 2012 at 3:52pm

अशोक  जी नमस्कार

वह वह सर कमाल कर दिया आपने उत्तम प्रस्तुति .........रचना के लिए बधाई

फूल सिंह

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 28, 2012 at 11:45am
आदरणीय रक्ताले सर, सुन्दर कुण्डलिया प्रस्तुत करने के लिये बधाई। नेता तो नेता हैं, बेचारे झूठ नहीं बोलें तो उन्हें घर पर बैठना पड़ेगा। जनता को टोपी जो पहनानी है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
1 hour ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service