जिंदगी एक रेल होती है
ये न समझो कि खेल होती है।
जिंदगी का सफर बहुत लम्बा,
रूक गये तो ये फेल होती है।
वो जहाँ चाहे मोड दे हमको,
हाथ उसके नकेल होती है।
आजकल जिंदगी की भागमभाग,
पानी कम ज्यादा तेल होती है।
आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।
अब तो राशन की लाइने या सडक,
हर जगह धक्का पेल होती है।।।।
सूबे सिंह सुजान
Comment
आपका मंच पर बने रहना उम्मीद जगाता है .. हार्दिक बधाई
Rekha Joshi,,,,,,,,,,,,जी शुक्रिया
विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी..........जी, धन्यवाद।।।। सुजान ही मुझे भी अच्छा लगता है
Rekha Joshi.........जी, आपकी प्रतिक्रिया पर मैं बहुत आभारी हूँ।.................
Arun Kumar Pandey 'Abhinav'...आपकी दाद पाकर धन्य हुआ।
आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है। ,बहुत खूब सुबेसिंह जी अक्षरक्षर सत्य ,बधाई
उम्दा ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय सुजान जी
इस उम्दा ग़ज़ल के लिए दिली दाद क़ुबूल कीजिये
वैसे तो सारे शेर उम्दा हैं
पर इस शेर में दोष है इसे सुधार कर लें
गुरजन आपको अपनी संजीवनी राय अवश्य देंगे
आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।
आजकल जिंदगी की भागमभाग,
पानी कम ज्यादा तेल होती है।
आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।
ye do sher vishesh pasand aaye sujaan ji hardik badhai
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