नहीं है पास तू अगर तो तेरी याद सही
रही जो याद वो शहद सी मीठी बात सही
ग़मों में मुस्कुरा रहा हूँ गहरे जख्म छुपा
दिले-नाशाद क्यूँ फिरूँ जो रहना शाद सही
उजाले चीखने लगे जो तुझको देख अगर
अँधेरी गर्दिशों भरी ही काली रात सही
तुझे तो था पसंद मेरा खस्ता हाल बुरा
हुआ बरबाद चाहतों में तो बरबाद सही
दिलों का टूटना बुरा या अच्छा "दीप" यहाँ
मिली इक जिन्दगी मुझे तो इसके बाद सही
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय वीनस जी सादर प्रणाम
आपको मेरा लेखन पसंद आया और आपकी बेशकीमती प्रतिक्रिया मुझे मिली
आपका ह्रदय से धन्यवाद सहित सादर आभार
अनुज पर ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया रेखा जी सादर प्रणाम
आपकी दाद ह्रदय से स्वीकार है
अपने ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
आदरणीय अलबेला सर जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी आशीर्वाद स्वरुप दाद पा कर धन्य हो गया
अपने ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
बहुत खूब संदीप जी आपकी लेखनी चमत्कृत करती है
ज़बरदस्त
नहीं है पास तू अगर तो तेरी याद सही
रही जो याद वो शहद सी मीठी बात सही,उम्दा गजल पर हादिक बधाई संदीप जी
शानदार ग़ज़ल कही संदीप पटेल जी..........
वाह वाह
उजाले चीखने लगे जो तुझको देख अगर
अँधेरी गर्दिशों भरी ही काली रात सही
तुझे तो था पसंद मेरा खस्ता हाल बुरा
हुआ बरबाद चाहतों में तो बरबाद सही
__बहुत खूब !
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