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अ-विराम

                         

प्रगति पथ पर चलो निरंतर

न किसी का भय न कोई डर

करना है कुछ अलग सा काम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम

 

कांटो सी राह पर चलते है जाना

सूरज की आग में जलते है जाना

रोशन करना है जग में नाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम

 

कुछ जोश भरा हो मन में

कुछ उमंग बसी हो जीवन में

नहीं सोचन क्या होगा अंजाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम...

 

 

 रणवीर प्रताप सिंह

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Comment by Ranveer Pratap Singh on August 8, 2012 at 1:48pm

 @अरुन शर्मा "अनन्त", @ Rekha Joshi , @ AVINASH S BAGDE, @Yogi Saraswat, aap sabka bahut bahut dhanywaad is kavita ko pasand karne ke liye... main prayasrat ki har baar kuch achcha likh sakoon... dhanywaad.

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 12:18pm

बेहद प्रेरणादायिक रचना बहुत -२ बधाई स्वीकार करें 

Comment by Rekha Joshi on August 8, 2012 at 10:58am

कुछ जोश भरा हो मन में

कुछ उमंग बसी हो जीवन में

नहीं सोचन क्या होगा अंजाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम..

अति सुंदर रचना पर बहुत  बहुत बधाई रणवीर जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 8, 2012 at 10:29am

रोशन करना है जग में नाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम...B-POSITIVE..

wah प्रेरणादायक

Ranveer Pratap Singh ji.

Comment by Yogi Saraswat on August 8, 2012 at 9:57am

कुछ जोश भरा हो मन में

कुछ उमंग बसी हो जीवन में

नहीं सोचन क्या होगा अंजाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम...

सुन्दर , प्रेरणादायक शब्द

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