For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अगर हम उन्हें अपना नहीं मानते 
तो ये रिश्ते बनते कैसे 
हर वक़्त हर पल , हम और तुम 
इश्क की आग में जलते कैसे 
क्यूँ दस्तक देती रोज़ हमारी चौखट पर
क्यूँ चौंकते हम रोज़ तुम्हरी आहट पर 
दर्पण में हर बार तुमहरा चेहरा था 
मन , जल में रह जल बिन सा था 
जब नाम खुदा का लेते थे , 
पर नाम तेरा ही आता था 
हर बार बुझी सी आँखों में , 
सपना जब कोई पलता था 
हर बार तुम्हारी बातों से , 
पलकों से मोती गिरता था 
रिश्ता कैसे और पनपता है 
इस से बढकर क्या कोई होता है 
मेरी हर सीप के मोती थे,
था तुमसे नहीं कोई ज्यादा 
अपनों सा माना तुमको , 
हर बार लाँघ कर मर्यादा

Views: 381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashish Srivastava on August 6, 2012 at 9:21am

Rekha ji , 

Su prabhat , 

Aap ka samarthan hmari prerna hai 

hriday se abhinandan aapka 

Comment by Ashish Srivastava on August 6, 2012 at 9:20am

Bhramar sahab , aagar aapka man hamri rachna uthal puthal kar de , is se bada saubhagya kya hoga , dhanywaad , aapka ashirwaad rahega to likhne ke liye prerna milgei 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 5, 2012 at 12:59am

हर बार बुझी सी आँखों में , 
सपना जब कोई पलता था 
हर बार तुम्हारी बातों से , 
पलकों से मोती गिरता था 
रिश्ता कैसे और पनपता है 

आशीष जी ये समां बड़ा प्यारा बड़ा न्यारा लगता है .प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति झलकी ऐसा ही होता है 

जब लहर  उठे उनके दिल में... तो अपना मन भी उथल पुथल कर गोता बहुत लगाता है 
.जय श्री राधे .....भ्रमर ५ 

 

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 1:47pm

मेरी हर सीप के मोती थे,
था तुमसे नहीं कोई ज्यादा 
अपनों सा माना तुमको , 
हर बार लाँघ कर मर्यादा,सुंदर अभिव्यक्ति आशीष जी ,आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service